07 जून, 2023
शेष जीवन
06 जून, 2023
भोला बचपन
जब जन्म लिया कान्हां ने
माता की गोद भरी थी
मन में उत्साह जगा था
सब ने बधाई दी मान को
खुशियों से भरी थी
कहीं कमी न थी मेरी रौनक मैं
जी जान से जो मझे मिली थी
सरल सतर्कजीवन जी लिया
कभी रोया कभी खुद
कोड काण्ड किया
यही मेरा बचपन था
जिसका इंतज़ार रहा
यही उसका बचपन मेरा था
आशा सक्सेना
01 जून, 2023
ऊंची उड़ान कविता की भरी
भरी उड़ान पूरी क्षमता से
किसी की कोई मदद ना चाही
जब उच्चतम स्तरपहुंची
ख़ुशी मिली हम को |
छाछ पी ली फूँक फूँक कर
चाहे दूध ठंडा ही रहा
कल्पना में इसे उबाला है
जब कि यूँ तो ना आ रहा ख्याल मेरा |
यहीहै जिन्दगी का दोहरा रंग
जिससे बच कर चली हूँ
पतंग उड़ाना भी एक कला है
यह तह भूली नहीं हूँ |
किसी नव गीत का सम्मान किया
अपने बुद्धि के कौशल से
या कोई नई विधा से कुछ सीखा है |
नई विधा पर कुछ लिखना
उस पर अपनी कलम चलाना
अपनी ही कोशिश से |
सफलता ने दुलारा हैमुझको
बहुत आशीष दिया है
हूँ आज जिस स्थान पर खड़ी
वह नवाजा गया है मुझे
सम्मान किया गया है |
आशा सक्सेना
28 मई, 2023
कल्पना के इस दौर में
कल्पना के इस दौर में
कैसे दूर रहूँ उससे सब ने समझाया भी इतना
कभी कहने में आई यही बात
मन को ना भाई कैसे |
कविता का कोई रूप नहीं होता
केवल भावनाएं ही होतीं प्रवल
सुन्दर शब्दों से सजी कविता
मन में हिलोरे खा रही है |
प्यार से सजी हुई है
दिलों दीवार में घुमड़ा रही हैं
कभी नदिया सी बेखौफ बह रही हैं
अपनी राह से है लगाव इतना
आगे आने वाले राह नहीं भटकते |
यही मन को रहा एहसास
पर मुझे भय नहीं है
अपने ऊपर आत्मविश्वास है इतना
कभी पैर ना फिसले ताकत से रहे भर पूर
यही है अभिलाषा मेरी|
चंचल चपला सी नदिया
प्रकृती में पथ खोज रही है
देती है महत्व उसकी लहराती चाल को
दीखती है उन्मुक्त बहती नदिया जैसी
चार चाँद से जोड़े हैं नदियों के उन्मुक्त प्रवाह में|
आनंद से भर गई मैं प्रकृति के प्रागंन में
यही आशा थी मुझको अपनी सोच से
मुझे एक संबल मिला है आज के इस दौर मैं
जिसे पा कर मैं खुशियों से भर उठी हूँ
अपने विश्वास पर अडिग खडी हूँ मैं |
मुझे यह गुमान हुआ है कभी किसी ने प्यार ही
नहीं किया मुझको जब कि मैंने सब कुछ छोड़ा उनपर |
अब लगने लगा है मानों मेरा वजूद ही नहीं
जी रही हूँ एक बेजान गुडिया सी इस भव सागर में
कभी खुद का एहसास भीं ना होगा कल्पना के इस दौर में
आशा सक्सेना
27 मई, 2023
हाईकू
१-कितने स्वप्न
देखे हैं दिन ही मैं
समझ आई
२-ये सपने भी
कभी खोते जाते हैं
नहीं मिलते
३-जानते नहीं
उलझाते रहे है
बचाओ मुझे
४-प्यार से बंधे
इतने मजबूत
उसे जकडे
५-तेरा प्यारहै
इतना नाजुक कि
मोम जैसा है
आशा सक्सेना
25 मई, 2023
जीवन की कहानियां
कभी ख़ुशी कभी गम
आए दिन की बात है
मैं सोच नहीं पाती |
की फरमाइशें बच्चों ने
जिनको पूरा कर न सके
पत्नी की उदासी में
सारा दिन हुआ बर्बाद |
मन को इतना कष्ट हुआ
तुम् सह नहीं पाओगे
सोचोगे कैसे जीवन जिया जाए
वह तो मुझे ही जीना है|
मै किस तरह जीता हूँ
किसी से कह भी नहीं सकता
सोच रहा हूँ कहीं दूर चला
जाऊं
वहीं से नौकरी करूकुछ मदद करू
और कोई विकल्प नहीं मेरे
पास |
आशा सक्सेना
22 मई, 2023
जीवन एक वृक्ष जैसा
जीवन एक पेड़ जैसा
पहले पत्ते निकलते
फिर डालियाँ हरी भरी होतीं
वायु के संग खेलतीं
धीरे धीरे कक्ष से
कलियाँ निकलतीं
पहले तो वे हरी होतीं
फिर समय पा कर
खिलने लगतीं तितली आती
इन से छेड़छाड़ करतीं
भ्रमर भी पीछे ना
वे प्यार में ऐसे खो जाते
पुष्प की गोद में सिमट रहते
जब तक संतुष्टि ना हो
वहीं सो रहते
मन भर जाते ही अपनी राह
लेते
इन तीनों का खेल देखने
में
बड़ा मनोरम लगता
हरी डाल पर रंगीन पुष्प अद्भुद
द्रश्य होता |
आशा अक्सेना