19 जून, 2023

भक्ति मेरी


 

श्याम पिया मेरे मन बसिया

मैंने  की तुम्हारी  आरजू

दिन रात तुम्हारा सुमिरन किया

तब भी तुमने मुझ पर कृपा नहीं की |

जैसे ही मंदिर के घंटे बजते

ढोल नगाड़े बजते

होती भक्तों की तैयारी आने की  

मेरे भी कदम बढ़ जाते उस ओर|

जब श्लोक कानों में पड़ते  

मन में हलचल होती

चाल दो गुनी हो जाती

मंदिर पहुँच कर ही कदम ठरते |

तुम्हारे कदमों को छूकर

 ही अपना मन भर् लेती

मुझे और कुछ ना चाहिए

तुम्हारे हाथ हों मेरे सर पर

और आशीष हो  मुझ पर  

मेरा मन कहता

 हो आशीष केवल मुझ पर

और कोई ना हिस्सा बांटे

अपना हिस्सा ही स्वीकार करे |

तुम मेरे हो मेरे ही रहो

 श्याम सलोने और किसी के नहीं

मुझे राधा मीरा  से भी ईर्षा होती  है

और तुम्हारे अन्य भक्तों से |

18 जून, 2023

हाइकू

  १- कब तकहै 

 तुम्हारी  मनमानी 

 किसकी  जिद 

२- वन में वृक्ष 

हरे भरे दिखते 

मन को भाते 

३-सुबहउठ

सेहत बनाओ  जी 

स्वस्थ रहो 

४-किताब पढो 

अनुभव बढ़ाओ

जीवन जियो 

५ -अपना ज्ञान 

मुफ्त में  ना बांटो 

सयंम  रखो 

६-सागर बड़ा 

भयावय हुआ है

 उत्पात  मचा |



आशा सक्सेना 

17 जून, 2023

धोखा प्रकृति का


 


समय चक्र  ने धोखा  दिया

मौसम ने साथ ना दिया, फसलें बिगड़ी  

आंधी तूफान ने भी झटका दिया

दी आर्थिक हानि बिना जाने |

क्या सभी अमीर होते हैं

जाने कितनी कठिनाई सह कर

 अपने सपनों का बनाते हैं घर  

कई  वृक्ष  तूफान में धराशाही हुए

लहरों के संग बह गए |

जब जागे अखवार पढ़ा

 पहला ही भरा पड़ा था पेज

ऐसे ही समाचार से मन को झटका लगा

चाय पीने का भी मन ना हुआ |

गहरे  भाव मन में उठे चोट गहरी मन को लगी

अखबार के पेज दूसरे पर हिन्सा की दूकान लगी 

घरेलू हिंसा भी कम ना  लिखी

आम जन आर्थिक तंगी से भी हुआ बेचैन  

मन को चोट लगी यह सब देख |

आशा सक्सेना   

    

 

16 जून, 2023

उसने गलती की है

 किसी से प्यार करो न करो 

पर उसको नहीं भूलो 

उसने क्या गलत किया है 

है आज की परवरिश उसकी  |

उसने संस्कृति को जाना नहीं है 

अपने परिवार को पहचाना नहीं है 

 दुनिया की परछाईं पड़ी उसपर 

वह खो गया आज के माहोल में |

मैंने जब भी टोका उसको 

उसने एकना सुनी मेरी 

मनमानी की हरपल उसने 

 उसकी मासूमियत पर

बड़ा प्यार आता है 

यही भूल हुई मुझसे 

उसने गलत किया है 

मैं समझाऊंगी उसे \


आशा सक्सेना 

14 जून, 2023

मेरी अभिलाषा

 

रंगरेजवा मेरी रंग दे चुनरिया

रंग चाहे जो भी दे मन प्रफुल्लित हो जाए

मैंने कभी कोई रंग ही ना  देखे

जो नयनों को सुन्दर लगे मन को भाए |

मुझे आवश्यकता है चटक रंग की चूनर की

आर तेरी भी सहमती चाहिए

जब पहनकर निकालूँ राह में

लोग तरसें देखने को मुझे |

मुझे खुद पर हो गर्व जब किसी से तुलना हो

मैं निकलूँ  रंगीन चूनर पहन जब

कोई उसकी कीमत पूछें बत्त्ने में जो ख़ुशी मिले

आम जन को ना हांसिल हो |

मेरी अभिलाषा है मुझसा कोई न हो 

जब निकालूँ सब देखते ही रह जाएं मुझे 

मैंने इसी सफलता पर 

सब के मुंह से निकले वाह क्या बात है |

आशा 


कविता ने अपना गम भूला

 

मेरी  कविता ने अपना गम भूला

कुछ नया लिखने का मन हुआ

जब कलम उठाई उत्साह जाग्रत हुआ 

यही समझ आया कभी तो सफलता मिलेगी|

अपने जीवन की रंगीनी उसमें डाली

यही किया अपने को व्यस्त करने के लिए

सब ने हतोत्साहित भी किया पर मैंने हार नहीं मानी

 जिसने भी सलाह दी उस पर पूर्ण विचार किया

नवीन शब्दों  का अर्थ खोजा

जो शब्द  हनी से भी मीठा हो उसका ही उपयोग किया

मन लुभावन  होने से  आराम से उपयोग किया 

यही चाह थी  मन में पूरी सफलता पाई |

आशा सक्सेना