नवनीत इकठ्ठा लिया खुद खाया 
कान्हां ने लूट मचाई 
 मित्रों को दूध दही खिलाया |
जब  गोपी आईं उनने उसे बरजा 
की शिकायत यशोदा सेकान्हां ने स्वर बदला 
कहा  ये गोपिया झूठ का सहारा ले कर तुम
सन्मुख आई हैं उसने कुछ नहीं किया हैं 
यही झूठ सच में बीता कान्हां का बचपन 
ग्वालव़ालों ने भी कान्हां का ही पक्ष लिया 
किशोरवय आते ही कान्हां चले गायों को चराने पहनी काली कमली 
वन में जीवन खूब जिया |
राधाके संग घूमें बांसुरी बजाई जो राधाके मन भाई उसी ने यह सब को बताया 
इधर मथुरा में घोर अराजलता छाई 
ऊधव ने वृन्दावन में ज्ञान गंगा बहाई यही कृष्ण पूर्ण पुरुष का जन्म हुआ
वे मथुरा के राजा हुए |
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