25 जून, 2023

तुमने किसी को महत्व ना दिया

 

तुमने किसी को महत्व ना  दिया

समाज का आदर ना किया

अपना दिल उसे दे दिया

अपने से बहुत नजदीक किया |

उसने कदर न जानी तुम्हारी

यही बात उसके मन ना  भाई

बिना सोचे विचारे यह क्यों किया

किसी का दिल तोड़ दिया |

उसे खुश रखने के लिए

यह सही नहीं किया

|सब का मान सन्मान ना किया

उड़े तुम झूटी शान मेंआसमान में

किसी की आवश्यकता नहीं समझी

जिसने भी अपनी हाथ फंसाया 

काजल की कोठारी में उसने 

अपने हाथ काले किये |

मन को किसी के ठेस लगी

 यही बात मन को चुभ  रही 

हमने तो जीने का मन बनाया 

रंगीन सुहाने सपनों में 

यही है प्यार की रीत 

कुछ नया नहीं है 

आशा सक्सेना 


24 जून, 2023

कृष्ण

 

नवनीत इकठ्ठा लिया खुद खाया

कान्हां ने लूट मचाई

 मित्रों को दूध दही खिलाया |

जब  गोपी आईं उनने उसे बरजा

की शिकायत यशोदा सेकान्हां ने स्वर बदला

कहा  ये गोपिया झूठ का सहारा ले कर तुम सन्मुख आई हैं उसने कुछ नहीं किया हैं

यही झूठ सच में बीता कान्हां का बचपन

ग्वालव़ालों ने भी कान्हां का ही पक्ष लिया

किशोरवय आते ही कान्हां चले गायों को चराने पहनी काली कमली

वन में जीवन खूब जिया |

राधाके संग घूमें बांसुरी बजाई जो राधाके मन भाई उसी ने यह सब को बताया

इधर मथुरा में घोर अराजलता छाई

ऊधव  ने वृन्दावन में ज्ञान गंगा बहाई यही कृष्ण पूर्ण पुरुष का जन्म हुआ

 वे मथुरा के राजा हुए |


23 जून, 2023

था इन्तजार तेरा बड़े होने का

था  इन्तजार  तेरा बड़ा होने का

था  इंतज़ार तेरा दुनिया में  बेसब्री से

तुम आए जब पहली बार पालने में

थाली बजी ड्रम बजे इस अवसर पर

खुशियाँ मनाई सोहर गीत गाए सब ने |

घुटनों चले  उंगली पकड़ी  चलना सिखाया

गिरते पड़ते उठना सीखा

चार कदम चलना सीखा |

सबने बड़ी खुशिया मनाई

पांच वर्ष में पट्टी पूजन करवाया

फिर शाला में भर्ती करवाया

जीवन की गाड़ी आगे बढ़ने लगी  |

माता पिता के  अरमान थे  जाने कितने

 वे भी पूरे ना हो सके

 प्रार्थना भी नहीं सुनी प्रभु ने  

उस पर दया दृष्टि भी ना  दिखाई |

क्या यही भाग्य में लिखा था

उसने  सब कार्यों को प्रभु के हाथ छोड़ा

अब ईश्वर का सहारा लिया

किसी ने आशीष दिया आत्मबोध जाग्रत हुआ |

आया है  साहस खुद मैं हर  समस्या को झेलने का

 अब है इतना साहस उसमें 

आत्म शक्ति जाग्रत हुई है नहीं चाह बैसाखी की

अपने पैरों पर खड़ी हुई है   आश्रित नहीं किसी की |

आशा सक्सेना


22 जून, 2023

सारा जीवन बीत रहा

 

सारा जीवन बीत रहा

 पर संतोष ना  मिला कहीं भी

जीवन एक किराए की झोंपड़ी

मन को आराम मिला ना मिला |

कविता लिखने से मन उचटा

ना कोई नये शब्दों का काफिला मिला

चलता रहा आगे आगे

ना किसी ने रोका टोका नाहीकोई ने इनकार किया |

चलने लगा दीवानगी की राह पर

बिना सही मार्ग खोजे

लोगों ने दीवाना समझा

पर तुमने मुझे क्या समझा

यह आज तक तक ना बताया  |

21 जून, 2023

है बिंदास मन की


                                                                    है विंदास मन की 

किसी के साथ नहीं है 

अपनी सोच पर है कायम 

अनजान नहीं है |

अपने मन की करने वाली जिद्दी है

 कहना किसी का नहीं मानती

खुद सोचना वही करना 

यही समस्या है  | 

तभी समाज से हुई निष्काषित 

मन माना या नहीं वही जानती 

अपने आप को वही पहचानती 

खुशी की हद  क्या है 

जीवन के रंगों से उसने प्यार किया है |

आशा सक्स्रना 

 

20 जून, 2023

सागर किनारे



सागर किनारे 

मौसम बहुत प्यारा

जब चलते चलते थकी

जल पीने को हाथ बढाया

खारा पानी एक घूँट ना पी सकी | 

प्यासी ही रही एक विचार मन में आया

क्या लाभ ऐसे जल का

 जो प्यास तक ना  बुझा पाई

   जिस का कोई ना लाभ |

पर उसका गुण ना  जाना

यही है जल का स्रोत प्रकृति का

बादल आते भाप जल की अपनी बाहों में समेट

सब  जगहों में ले उड़ जाते

कभी आपस में टकराते बिजली कड़कती 

जल तेजी से बरसता बहुत  आनंद आता |

पर एक दिन महा प्रलय आई सारी सीमाएं टूटीं 


लोगों में घबराहट बढी जो सागर किनारे रहते 

सरकार ने अलर्ट किया बचाव्  के लिए 

राहत केंद्र खोले |

आशा सक्सेना 

अटल विश्वास

 



                                तुम्हारा हुस्न लाजबाब

तुममें गुण हैं  हजार

पर आत्म विश्वास की कमीं ने

कमर तोड़ दी तुम्हारी    |

यही यदि दृढ  रही होती 

खुद पर बड़ी आस्था होती

तुमने कभी अन्याय ना सहा होता

तुम्हारा सर कभी ना  झुका होता |

अपने को अपमानित नहीं समझा  होता

कारण कुछ भी रहा होता

पर कदम ना डोले होते |

एक यही उसे  वरदान मिला है

समाज में भी सम्मानित होती

 किसी से दूर नहीं होती

 यही अटल विश्वास

 यदि जाग्रत किया होत़ा

तुम आगे सब से होती

 जीवन मैं खुशहाल रहती  |

आशा सक्सेना