१-मन ने देखा
सोचा मनन किया
रहम किया
२-जीवन गीत
नहीं गुनगुनाया
मन से यहाँ
३-तेरी कहानी
किसी ने नहीं सुनी
संवेदना है
४-रंगीन रात
सब व्यस्त इसमें
टाइम नहीं
५-यह मौसम
किसी का सगा नहीं
यही दुःख है
आशा सक्सेना
१-मन ने देखा
सोचा मनन किया
रहम किया
२-जीवन गीत
नहीं गुनगुनाया
मन से यहाँ
३-तेरी कहानी
किसी ने नहीं सुनी
संवेदना है
४-रंगीन रात
सब व्यस्त इसमें
टाइम नहीं
५-यह मौसम
किसी का सगा नहीं
यही दुःख है
आशा सक्सेना
कब जानना चाहा मैंने
तुम्हारे मन में क्या है
यदि बता दिया होता
तुम्हारी सलाह में कुछ तो दम
होता |
सारी दुनिया से अलग थलग रह
अपनी दुनिया को बसाया यहाँ
क्या यही बात तुमको ना भाई
कि मैंने भी दिखावा किया |
यह सच नहीं है
दिखावे का कोई रोल नहीं यहाँ
हर व्यक्ति के वास्तविक जीवन में
जब खोज पूरी हुई रंगीन जीवन हुआ |
मन को सुकून आया
महक में इसकी डूब कर |
, खुशी का कोई मोल नहीं है
वह है अनमोल
बड़े कष्ट से पाया है मैंने
अब तक सम्हाल कर रखा इसे
यही है मेरी संचित पूंजी
सब ने खुशबू को दूर से पहचाना है|
आशा सक्सेना
समाज का आदर ना सन्मान
किसी से नाता ना जोड़ा
अकेले रहे ,जीवन नीरस हुआ |
तुमने किसी को महत्व ना दिया
यही दिखता अहम् तुम्हारा
किसी से लाभ कैसा कितना
जोड़ तोड़ में लगे रहे
यही तो कमीं रही तुममें
जोड़ तोड़ कितना करोगे
कभी तो सामान्य रूप से रहो
यही एक आकांशा रही मन में
तुम कब मुझे अपना समझोगे
यह गैरों जैसा व्यबहार
क्या सब से रहा तुम्हारा |
केवल मुझसे नहीं ,यह किस कारण
बताया तो होता
शयद कोई हल निकल पाता |
जीवन फिर से रंगीन होता
जिन्दगी एक रस ना होती
बहुत खुश हाल होती |
आशा सक्सेना
हर रात कुछ नया दिखता
कौन है जिम्मेदार उसका
हम तुम के झंझट में
बातों का अखाड़ा दिखता |
किसी ने दो बोल मीठे तो बोले होते
हम निहाल हो जाते उस पर
कभी ना उलझने की कसम खाते
प्यार से रहने का वादा करते |
सपने दिन में ना आते
आधी रात में ना जागते
चोंक कर ना उठते
शांती से सोते जागते |
एक कल्पना यही की होती
तुम हो मेरे पास जज्बातों से भरी
यही है मेरे मन में
यहीं कहीं तो तुम हो मेरे पास |
१-बाली उमर
यौवन आया नहीं
बचपना है
२-नवनीत है
खाने को निभाने को
मित्रता यहाँ
३-तेरा मेरा क्यों
कब से किस लिए
क्या यही सीखा
४-जन्नत यहाँ
तुझ में ही खोजता
मेरे मन में
५- तेरे नाम से
कुछ लाभ लिया है
किसीने यही
आशा सक्सेना
कब जानना चाहा
तुम्हारे मन में क्या है
यदि बता दिया होता
तुम्हारी सलाह में कुछ तो दम होता |
सारी दुनिया से अलग थलग रह
अपनी दुनिया को बसाया यहाँ
क्या यही बात तुमको ना भाई
कि मैंने भी दिखावा किया |
यह सच नहीं है
दिखावे का कोई रोल नहीं यहाँ
हर व्यक्ति के वास्तविक जीवन में
जब खोज पूरी हुई रंगीन जीवन हुआ |
मन को सुकून आया
महक में इसकी डूब कर |
, खुशी का कोई मोल नहीं है
वह है अनमोल
बड़े कष्ट से पाया है मैंने
अब तक सम्हाल कर रखा इसे
यही है मेरी संचित पूंजी
सब ने खुशबू को दूर से पहचाना है|
आशा सक्सेना
अनजान डगर नया शहर
पैर कांपे थर थराए
पर हिम्मत से काम लिया
सारे विघ्न हटाए एक तरफ |
किसी से कब तक डर कर रहते
अपने अरमां जो सजाए मैंने
तब किसी से पूंछा नहीं था
अब दुःख हुआ अपने सोच पर |
सुख जब आया दुःख भूले
आगे बढ़ने की चाह में
अपनी हिम्मत पर भरोसा किया
तुमसे भी सलाह ली मैंने |
अब कुछ हल्का है मन
सही राह मिल गई है
है लंबा रास्ता पर
थके नहीं हैं अब तक |
यही उत्साह यदि कायम रहा
मुझे कोई हरा ना सकेगा
नया शहर रास आया है
यही क्या लाभ नहीं मुझे |
मैंने जो किया तन मन से किया
ईश्वर भी सहायक हुआ हर पल
उसने दर्शाई दया द्रष्टि
तभी सफलता का मुंह देख पाई |