हम ने जब भी सोचा
सही राह पर चलने के लिए
कई व्यवधान मार्ग मेंआए
किसी ने सही राह ना बतलाई |
मन को बहुत चोट पहुंची |
फिर सोचा मेरे ही साथ
ऐसा हादसा क्यों
मन से समझोता किया
सोचा बहुत मनन किया |
किसी बड़े आदमीं ने सलाह देनी चाही
पर अहम् ने ना स्वीकारा इसे
यही मैंने मात खाई
किसी की बात ना मान कर
हर समय ठोकर ही खाई
जितनी बार विचार किया
मन में द्रढ़ता जाग्रत हुई