24 नवंबर, 2023

हलके हलके ठुमके लगाओ

 

हलके हलके ठुमके लगाओ

लहराओ झूम जाओ

जीवन में खुशियाँ भर दो

फिर से मुस्कुराओ |

अखवार में जब तस्वीर छपेगी

लोगों में प्रशस्ति बढ़ेगी

तुमको जाना जाएगा

कवि  लेखक के रूप में |

हमें बहुत खुशी होगी

जब लोग तुम्हें जानेगे

तुम्हारा लेखन पहचानेगे

हमें गर्व होगा तुम्हारे पुरस्कार पाने पर |

आशा सक्सेना 

सखी आई है


मेरी सखी आई है

अनुभवों की दुकान साथ  लाई है

यह तक नहीं सोचा उसने |

उसके अनुभव और हम

में कोई तालमेल है या नहीं

मन में इच्छा हो या नहीं

पर उसको तो सुनना ही है |

जो कुछ सुना  उस का

 पालन भी करना है

यदि ऐसा नहीं किया

वह  नाराज हो जाएगी |

फिर उसे मनाना होगा मुश्किल

बहुत नखरों के बाद

वह मन पाएगी

फिर से खुशी आ पाएगी |

आशा सक्सेना 

23 नवंबर, 2023

सागर की लहरें

सागर की लहरें कोई छोटी  कोई बड़ी 

झूम झूम कर आतीं किनारों से टकरातीं 

कोई टूट कर बिखर जाती कोई लौट जाती 

अपने आसपास की  वस्तुएं साथ वहा कर ले जातीं|

कभी विकराल रूप धारण करती 

कई लहरें आपस में मिलकर आगे बढ़तीं 

यह रूप उनका ह्रदय विदीर्ण  करता 

पीछे से पलट कर देखा नहीं जा सकता |

जान माल का नुक्सान होता कितना

 यह भी सोचा नहीं  जा सकता 

किनारे पर रहने वाले अश्रु पूरित नैनों से

 अपने उजड़ते घरों को देखते रहते असहाय से  |

इन भयावह लहरों के नामकरण होते 

किसी को सुनामी कहा जाता 

कोई बार बार आती नया नाम लिए 

 दिल दहलाती किनारे रहने वालों के  |

आशा सक्सेना 










22 नवंबर, 2023

गीत गाओ

“गीत गाओ “

दिल ने कहा गीत गाओ

 मुझे प्यार करो मन को बहलाओ|

मेरे सपनों में खो जाओ

मैं कुछ तो तुम्हारी लगती हूँ

इसे न भूल जाना

 मेरी जगह किसी को न देना |

यही है मन में मुझे न भुलाना 

नहीं चाहती अपने

अधिकार को किसी से बांटना

 तुम मुझे न भूल जाना

वजूद है मेरा यही

 इस को किसी की नजर न लग जाए

मुझे याद करना मेरे मन में बसे रहना |

 अपने एकाधिकार पर गर्व है मुझको

यह भ्रम न रह जाए

मेरा मनोबल न कभी डिगे 

मन की स्थिती में वही द्रढ़ता रहे |

मैंने कोई गलत निर्णय न लिया हो

यही चाहती हूँ यही आशा लिए हूँ मैं

 यही प्रभू से मांगती हूँ

 मुझे मेरा अधिकार मिले

 मैं किसी से बैर न मोल लूं  

 किसी से सांझा न करना नहीं चाहती

मन को दुःख न देना मेरे

झूटी आशा न दिलाना मन को न उलझाना

मन की मधुर कविता है 

यह  कोरा कागज नहीं है |

आशा सक्सेना 


सपने बीती रात के

जाने कितने सपने देखे सारी   रात में 

कुछ याद रहे कुछ भूल गई 

जो याद रहे उनका सम्बन्ध रहा अवश्य 

बीते जीवन की यादों से |

 |यही सपने देते कष्ट सोचने पर 

मन ने चाहा भुलाना उनको 

 क्या याद करना पुरानी बीती यादों को 

कोई खुशी नहीं मिलती उनको याद कर के 

 |यह भी तो  नहीं होता कि दुखों से दूर हों वे सपने 

कभी मीठी यादें तो रहती हैं याद 

 तब होता मन के पास  कुछ सोचने को |

मन उदासी के बारे में

 कुछ सोचना नहीं चाहता 

उसे भुला देना चाहता 

अपने आने वाले जीवन से 

कोई रूचि नहीं रही बीते कल की 

यादों में उलझे रहने में 

जीवन का सुकून घटता जाता 

यदि उसी से जुड़े रहते |

आशा सक्सेना 



21 नवंबर, 2023

मन मयूर

 


मन मयूर नृत्य करता हो कर  तन्मय

कोई खुशी मन में ना रहे शेष

यही दुआ करता प्रभु से

खुद नाचता झूम झूम प्रकृति में |

तब कोई उदास दिखाई ना देता

पर जब वह अपने पैर देखता

अश्रु जल अपने आप

 उसके नयनों से छलकता  |

यह आंसू ही मोहते मोरनी को

वह  खिची चली आती उसकी ओर

दौनोंएक साथ नृत्य करते

समा रंगीन हो जाता |

आशा सक्सेना 

20 नवंबर, 2023

दूसरेकी थाली में मीठा ही मीठा

वह  प्यार का भूखा  नहीं है 

स्नेह उसे भर पूर मिला है 

फिर भी है अभाव उसके जीवन में 

यह किसी से नहीं छिपा है |

कभी दिल खोल कर हंसता नहीं 

ना ही कोई मित्र उसका 

जिससे मन की बात सांझा कर पाए

अपने  मन को हल्का कर पाए ||

वह तलाशता रहता अपने हम कदम को 

ऐसा  लगता जैसे वह हो भूखा केवल स्नेह का 

 किसी की माँको अपना समझ 

सारा प्रेम न्योछावर करता 

पर कभी नहीं सोचता

वह  उसके बारे में क्या विचार करती |

कभी वह  शिकायत भी करता कि 

माँ का प्यार बट गया है 

वह  पूरा प्यार नहीं करती उसको 

यही  सोच मन में उदासी आई उसके 

उसे कौन समझाएदूसरों की थाली में

 मीठा  ही मीठा नजर आता है उसे 

 दूसरों से तुलना  करना ठीक नहीं 

आशा सक्सेना