23 जुलाई, 2011
विश्वास किस पर करें
22 जुलाई, 2011
वर्षा की पहली फुहार
कुछ इस तरह पडी चहरे पर
स्पंदन हुआ ऐसा
लगा आगई बहार बंजर खेतों में |
चमक द्विगुणित हुई
उस मखमली अहसास से
तेजी से हाथ चलने लगे
बोनी करने की आस में |
है कितना सचेत वह
यदि पहले से जानते
कई हाथ जुड़ गए होते
कार्यों के आबंटन में |
अभी भी देर नहीं हुई है
मिल बाँट कर सब होने लगा है
वह स्वप्न में खो गया है
अच्छी फसल की आस में |
जब हरियाली होगी
संतुष्टि का भाव होगा
ना घूमना पडेगा उसे
बहारों की तलाश में |
आशा
19 जुलाई, 2011
है मौन का अर्थ क्या
15 जुलाई, 2011
वे ही तो हैं
कोरी स्लेट पर ह्रदय की
कई बार लिखा लिख कर मिटाया
पर कुछ ऐसा गहराया
सारी शक्ति व्यर्थ गयी
तब भी न मिट पाया |
कितने ही शब्द कई कथन
होते ही हैं ऐसे
पैंठ जाते गहराई तक
मन से निकल नहीं पाते |
बोलती सत्यता उनकी
राज कई खोल जाती
जताती हर बार कुछ
कर जाती सचेत भी |
कहे गए वे वचन
शर शैया से लगते हैं
पहले तो दुःख ही देते हैं
पर विचारणीय होते हैं |
गैरों की कही बात
शायद सही ना लगे
पर अपनों की सलाह
गलत नहीं होती |
शतरंज की बिछात पर
आगे पीछे चलते मोहरे
कभी शै तो
कभी मात देते मोहरे |
फिर बचने को कहते मोहरे
पर कुछ होते ऐसे
होते सहायक बचाव में
वे ही तो हैं,
जो अपनों की पहचान कराते |
14 जुलाई, 2011
धीरज छूटा जाए
12 जुलाई, 2011
ऐसा क्यूँ होता है
है कारण क्या परेशानी का
उदासी की महरवानी का
गर्मीं में अहसास सर्दी का
गहराती नफरत में छिपे अपनेपन का |
कभी आकलन न किया
जो कुछ हुआ उसे भुला दिया
फिर भी कहीं कुछ खटकता है
मन बेचारा कराहता है |
है कारण क्या
चाहता भी है जानना
पर दूर कहीं उससे
चाहता भी है भागना |
गहरी निराशा
पंख फैलाए आती है
मन आच्छादित कर जाती है
रौशनी की किरण कोइ
दूर तक दिखाई नहीं देती |
सिहरन सी होने लगती है
विश्वास तक
डगमगा जाता
मन आक्रान्त कर जाता |
क्या खोया कितना खोया
यह महत्त्व नहीं रखता
बस एक ही विचार आता है
क्यूँ होता है ऐसा
उसी के साथ हर बार |
आशा
11 जुलाई, 2011
तेरा प्यार
तेरा प्यार दुलार
भूल नहीं पाती
जब पाती नहीं आती
मुझे बेचैन कर जाती |
तेरे प्यार का
कोइ मोल नहीं
तू मेरी माँ है
कोई ओर नहीं |
आज भी
रात के अँधेरे में
जब मुझे डर लगता है
तेरी बाहें याद आती हैं |
कहीं दूर स्वप्न में
ले जाती हैं |
फिर सुनाई देती है
तेरी गाई लोरियाँ
‘आँखें बंद करो ‘कहना
मेरा झूठमूठ उन्हें बंद करना |
सारा डर
भाग जाता है
जाने कब सो जाती हूँ
पता ही नहीं चलता |
आशा