हूँ एक अनगढ़ खिलोना
बनाया सवारा बुद्धि दी
किसी अज्ञात शक्ति ने
पर स्वतंत्र न होने दिया
बुद्धि जहाँ हांक ले गयी
उस ओर ही खिंचता गया
राह की बाधाओं से
पार पाने के लिए
सफलता और असफलताओं के
बीच ही झूलता रहा
जीवन के रंग उन्हें मान
बढता जा रहा हूँ
अंधकार में डूबा
उन्हें नहीं मानता
प्रकाश की खोज में
अग्रसर होना चाहता
है वह कौन
जो संचालित करती मुझे
उसे ही खोज रहा हूँ
हर कठिन वार सह कर भी
बचता रहा हर बार
जीना चाहता हूँ
क्यूं कि हूँ मनुष्य
वही बना रहना चाहता हूँ |
आशा