बंधे हाथ दोनो
समाज के नियमों से
है बंधन इतना सशक्त
तिलभर भी नहीं खसकता
कोई इससे बच नहीं पाता
यदि बचना भी चाहे तो
यदि बचना भी चाहे तो
वह नागपाश सा कसता जाता
यदि कोई इससे भागना चाहता
भागते भागते हार जाता
भागते भागते हार जाता
पर कभी यह प्यारा भी लगता
सामाजिक बंधन बने हुए
कुछ नियमों से
हित छिपा होता इनमें
समाज के उत्थान का
हूँ एक सामाजिक प्राणी
वहीं मुझे जीना मरना है
तभी तो भाग नहीं पाती इससे
खुद ही बाँध लिया है
इसमें अपने को
अपनी मन मर्जी से |
आशा