हे इमली के पेड़
तुम्हारे स्वभाव में
इतनी खटास क्यूँ ?
क्या तुम कभी
मीठे हुए ही नहीं |
क्या तुम्हें मीठी बाते
पसंद नहीं आतीं
हर समय खटास
भरी रहती है
तुम्हारे मन में |
यहाँ तक कि
पत्तियाँ भी खट्टी
इतनी खटास क्यूँ ?
क्या कभी मीठे फल
चखे ही नहीं
या तुम्हारे दिल ने ही
स्वीकारे नहीं |
कभी तो मन तुम्हारा
भी
होता होगा
कि जो तुम्हें खाए
तारीफ करे अरे वाह
कितनी मीठी है इमली |
पर वह है स्वप्न
तुम्हारे लिए
ना कभी मीठे हुए
ना भविष्य में होगे
जैसे हो वैसे ही
रहोगे |
आशा