सावन गीत में मधुर संगीत
ऊपर से ढोलक की थाप
खूबसूरत समा का एहसास कराती
कजरी मन को भाती |
हरियाली चहु ओर धरा पर
सावन आगमन की उपस्थिती
धरती की सौंधी महक से
वर्षा के मौसम में वायु के झोंकों से |
यही सुगंध हमें खींच कर ले जाती
हरेभरे बागों के बीच
रंग बिरंगे पुष्प सजे डालियों पर
कोई क्यारी भी रिक्त नहीं
है कमाल माली की मेहनत का |
उसका रिश्ता हैवृक्षों से
पिता और पुत्र जैसा
जब कोई वृक्षों से छेड़छाड़ करता
उससे सहा न जाता
कटु शब्दों से उसे बरजता |
पक्षी मोर पपीहा गाते अपनी धुन में
चुहल करते एक डाल से दूसरी पर जाते
रंगबिरंगी तितलियाँ उड़तीं
भ्रमर करते गुंजन कभी पुष्प में छिप जाते |
बालाओं ने डाले झूले नीम की डाली पर
ऊंची पैंग बढ़ातीं कजरी गातीं
धानी धानी वस्त्र पहन कर
व्योम को छूना चाहतीं |
आशा
व्योम को छूना चाहतीं |