08 जुलाई, 2021

सूना सारा जग लगे

                                         सूना सारा  जग लगे

तेरे बिना मन उसका भागे  

भीगे चंचल  स्वभाव

 नन्हीं बारिश की बूंदों में |

है यह  कल्पना मात्र

या किसी का ऐसा  झुकाव

 पैदा हुआ जो आकर्षण से

या पहली दृष्टि  के प्यार से |

एक ही  विशेषता रही यहाँ  

कोई झाँक  न सका उसे चिलमन से

एक तरफा लगाव रहा अवगुंठन में

बचा रहा  दुनिया की काली नजरों से |

वह खुश हुआ यह जान कर 

किसी ने ध्यान न दिया ऐसे लगाव पर

बात परदे में ही छुपी रह गई

दुनिया में रुसवाई न हुई |

आशा

07 जुलाई, 2021

सुकून दिल का


सुहानी रात ही में

वह  खोजाता

 सुकून ह्रदय  का    

जब  देखता

आसमान का  चाँद

रहा चमक    

पूर्णिमा की चांदनी

चमकाती है

  हर कण धरा का

आधी रात  में

जब सभी सोजाते

वह आनंद लेता  

चाँद की  किरणों का

 चन्द्र किरणे

अटखेलियाँ करतीं  

केशों की लटें

चूमलेतीं आनन

 खेल  प्रिय था

दिल की धड़कन

बढ़ने लगीं

चन्द्र  किरणें लौटीं  |  

आशा

  

06 जुलाई, 2021

प्यार का दिखावा



 


कौन जाने कब तक होगा

इस प्यार का समापन

बड़ा  अजीब सा  लगता है

 दिखावा प्यार के इजहार का |

कुछ नया करने का सोच मन के

सर चढ़ कर बोलता है

पर कोई नहीं जानता

इसका अंजाम क्या होगा  |

दिन रात जपी जाए

माला प्यार की उसकी

कुछ निष्कर्ष न निकला तब भी  

पहुँच न सके उस तक कभी |

बहुत दुःख होता है

जब प्यार नजदीक आते ही

हाथों से फिसल जाता है

मन हाथ मलते ही रह जाता है |

प्रश्न है कि  प्यार का यह  दिखाबा

कितना सफल होगा जिन्दगी में

 कैसे छा पाएगा जिन्दगी जरासी में

 प्यार  विशाल व्योम सा मेरे नन्हें मन में |

आशा

 

 

 

 

05 जुलाई, 2021

प्यार (हाइकु )

 


१-प्यार का रंग

होता है सुर्ख लाल

मनभावन

२-गीत प्यार के

जब गुनगुनाते

मन खुश हो

३-प्यार वैराग्य 

दौनों मन पे  बोझ  

बढाते रहे

४-तेरे प्यार मे

    सम्हल नहीं  पाए 

 गर्त में फंसे

५-प्यार का रंग

इतना आकर्षक

किसके के लिए

६-प्राणों  से प्यारा 

लगता इकरार 

तेरा मुझको 

आशा 



04 जुलाई, 2021

यादों की बरात चली


यादों  की बरात चली

बैंड  बाजों के साथ

मैं चला ले कर जखीरा साथ

बीते कल की यादों का |

घोड़े पर बैठ कर दीखती

 क्या शान  है

मधुर  स्वर में बज रहा

हर साज आज है |

पीछे चले घरवाले

गीत संगीत का आनंद लेते

लोकगीतों का मजा उठाते

 दूरी मालूम ही न पडी |

दुलहन का घर आते ही

हुई थकान पर क्या करूं

इतना तो चलना बनाता ही है

 बिना दूल्हा  क्या रौनक होती  बारात की |

हर पल याद पुरानी आती

पुरानी घटनाएं

 मन पर हो सबार

उन्हें और उछाल देतीं |

मन का बोझ तिल भर भी

 कम न होता

तुम्हारी कमी कैसे पूरी होती

तुम्हारा स्थान  भी 

कोई ले नहीं सकता  |

आशा

 

 

 

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03 जुलाई, 2021

कोई कब तक सहेगा

 


कोई कब तक सहेगा

तुम्हारा अनर्गल प्रलाप

पहले सोच विचार करो

फिर किसी पर वार करो |

यदि होंगे वार तुम्हारे खोखले 

कोई प्रभाव नहीं छोड़ेंगे

पर वार बजनदार किसी की

 जान लेकर ही दम लेंगे |

हथियार से वार समय रहते ही

ठीक किये जा सकते हैं 

 शब्दबाण देते घाव ऐसे

  ताजिन्दगी भुलाए नहीं जा सकते |

ऐसे शब्दों के बाण सीधे

दिल को आहत करते हैं  

 कभी कोई दवा काम नहीं करती

ताउम्र खलिश बनी रहती |

स्वभाव तुम्हारे की यही कमी

बन जाती  प्रगति की हथकड़ी

तुम जमाने से बहुत पीछे रह जाते

फिर अपने भाग्य को दोष देते |

आशा 






कहने सुनने में क्या रखा है


 

कहने सुनने में क्या रखा है

 अप्रिय वचन दिल को लगते शूल से

 कहने वाले की सोच होगी कम इतनी

 कभी सोचा नहीं था |

 प्यार से बोले जाते दो  बोल

मन को बढ़ावा देते 

 सुनने वालों के दिल जीत लेते

यूँ तो कोई बात अधिक समय 

मस्तिष्क में नहीं रहती

पर व्यर्थ की हुज्जत दिल को जला देती |

जब भी बोलें  मीठे बोल

 ही  मुंह से निकलें 

यही व्यवहार से अर्जित यश 

अपने साथ जाएगा

जब भी इस जग से विदा लेंगे

 याद किये जाएंगे

 कोई कहेगा तो सही

 बोल तुम्हारे  बहुत मीठे थे |

कब  भवसागर  से  मुक्ति मिलेगी

  कुछ कहा नहीं जा सकता

पर आशा कि जा सकती है |

जब भी स्वतंत्र आत्मा होगी

 बोझ तले दबी नहीं होगी

एक ही पुन्य साथ जाएगा 

किसी की बद्दुआ न लेगा कोई 

मुक्ति के बाद भी तुझे याद किया जाएगा |

मुक्ति  के बाद भी तुझे याद किया जाएगा  |