30 दिसंबर, 2021

अकारथ जीवन


 

ना तो कोई रंग ना तरंग

इस अकारथ  जीवन में

बोझ बन कर रह गया है

व्यर्थ इस धरती पर पड़ा है |

है बेनूर जिन्दगी उसकी

कोई भाव जन्म न लेते

जो मन की खुशियाँ सहलाते

दो शब्द प्यार के बोल पाते |

यह बेरंग जिन्दगी है  कैसी

  एक बदरंग दाग हुई दुनिया में

कभी मीठे बोल न मुखरित होते

  मुख मंडल से उसके |

सदा जली कटी भाषा का प्रयोग

मन विदीर्ण कर जाता सब का

उसकी  कर्कश बोली से

सबका इतना ही है नाता |

छोटे बच्चे तक तरस जाते

 दुलार पाने को उसका 

उसके आते ही कौने में छिप जाते 

 सुई पटक सन्नाटा होता

मन  विक्षोभ से  भर जाता |

आशा

29 दिसंबर, 2021

यह दिन जल्दी क्यूँ न आए


                                                      नव वर्ष का प्रथम दिन

 झाँक रहा चिलमन की ओट से

आने को है बेकरार

फिर भी पैर ठिठक रहे |

कहीं कोई व्यवधान

न आ जाए राह में

जैसे पिछले वर्ष राह रोकी

 कोविद की महामारी ने |

त्यौहार का सारा आनंद

  फीका कर  दिया था

 घर के अन्दर ही कैद किया था

 सरकार ने  लौक डाउन से  |

कभी मन में बेचैनी होती

इतना इन्तजार किस लिए

कब तक राह देखी जाए

नव वर्ष जल्दी से क्यूँ न आए |

आशा

26 दिसंबर, 2021

हाइकु

 






१-नव वर्ष है     

ले आया कुछ सोच 

 बढ़ते चलो  

 

२-कभी सोचना

किसी से भय न हो 

 बिंदास रहो  

 

३-यह आया है

कहां से किस लिए

मन का सोच

 


४-छोटी कहानी

जीवन की ये जानी  

हुआ  संतप्त  

 

५-शायद होता

कोई हाथ सर पे

यहीं रहता 

 

६- जीवन कैसा

गुजरेगा न जाना

यही न सोचा

 

७-नव वर्ष का

आगमन होना है

करो स्वागत

आशा

हूँ कवी कोई शायर नहीं


हूँ कवी शायर नहीं हूँ
माना शब्दों की हेराफेरी करता हूँ
किसी का दिल न हो आहत
फिर भी ध्यान रखता हूँ |
हूँ एक रमता जोगी
कोई घर न ठिकाना
जहां थोड़ा सा प्यार मिया
वहीं कदमों का थम जाना |
यही फितरत है मेरी
इससे कभी दूर न हुआ
दो रोटी की भूख जब हुई
लम्बे लम्बे डग भरता हूँ |
हूँ एक प्रकृति प्रेमी
हरी भरी वादियों को देख कर
मन की प्यास बुझा लेता हूँ
कोई चिंता नहीं करता हूँ |
आशा

25 दिसंबर, 2021

बड़ा दिन आया




बड़े दिन की हार्दिक शुभ कामनाएं 
 
बड़ा दिन आया खुशियाँ ले 

 बड़े इन्तजार के बाद

                चिलमन से झांकते छिपते छिपाते 

कोरोना के उपद्रव से भयभीत रहा पहले  |

कहीं यह त्यौहार भी ना फीका हो जाए   

फिर से हुआ यदि  लौक डाउन

कहीं सान्ता क्लाज न फँस जाए

आज के झमेलों में |

हमने बहुत सी तैयारियां की है

उसके स्वागत के लिए

 हैं बड़े उत्साहित कब वह आए

हमें मन चाहे पुरुस्कार दे पाए |

जो खुशी उससे हमें मिलती

               बयान करने को शब्द नहीं मिलते

उनकी गरिमा कुछ और ही होती

तभी होती इतनी बेकरारी

 इस के  आने की राह देखने की |

 


आशा

 

 

24 दिसंबर, 2021

तुमसे सीखा


                                    तुमसे  सीखा कठिन परिश्रम
                                      दृढ़ निश्चयी होना सीखा 

कितनी भी कठिनाई आए

मार्ग से विचलित न होना सीखा |

कायर सा मुहं छिपाकर

भूमिगत हो जाना न सीखा

किसी की कही बात पर

ध्यान न देना नहीं सीखा |

यही गुण मेरे जीवन के बने आधार

 कभी भी  मात न खाई

ना  कभी कोई कठिनाई आई

मैं सरलता से उससे उभर पाई |

बस एक बात मुझे खली

तब तुम न थे साथ मेरे

मुझे प्रोत्साहित  करने को

 प्रगति में सहायक होने को |

तब भी तुम्हारी  कमीं ने मुझे

जो सहन शक्ति की प्रदान तुमने 

किसी का एहसान न लेना सिखाया

अपने पैरों पर खडी हुई  |

 यही जिन्दगी का फलसफा हुआ

अब भी खड़ी हूँ अडिग सच्चाई पर

 झूट से कौसों दूर रही  हूँ

तुम्हारी सीख को  भूली नहीं हूँ |

आशा  


कोई कठिनाई नहीं


 

किया कुछ और 

चाह थी किसी और की 
किया तुम्हारा अनुकरण 
फिर भी कोई कठिनाई न हुई |
जीवन में आते व्यवधानों से सीखा
उन का मनन किया
गलत विचार को नकारा
सही पर ही ध्यान दिया |
आज जहां हूँ संतुष्ट हूँ
कल कठिन परीक्षा से गुज़री
अब उसे याद क्यूँ करूं
किस लिए करूं |
लोगों ने मेरा भाग्य सराहा
मुझे प्रोत्साहित किया
है अनुग्रह तुम्हारा भुलाना चाहा
पर मैंने ऐसा न किया |
हूँ तुम्हारी अनुगामीन
तुम्हारा बरद हस्त है
जब सर पर मेरे
मुझे चिंता नहीं है |
आशा