आज के युग में
इसी दुनिया में
हमने संसार से बहुत कुछ सीखा
छल छिद् से न बच पाए
ना ही कुछ सीखा
ना ही कुछ बन पाए |
माया नगरी में ऐसे फंसे
कदम तक उखड़ गए
बहुत खोजना चाहा
राह में ऐसे भटके
सोचा क्यूँ न जल मार्ग से
मार्ग पार कर लूँगा सहज ही
पर मझधार में नैया
हिचकोले लेने लगी
हम मार्ग में भटके |
प्रभु से की प्रार्थना
हे परमात्मा हमें
सद मार्ग की शिक्षा देना
जिससे खुद सही मार्ग को चुने
ईश्वर को कभी न भूलें
यही सब को दे सलाह
सद मार्ग पर चलें |
आशा सक्सेना