शायद किसी ने दी सलाह जज्बाती होने की
सोचा नहीं था क्या हश्र होगा इसका
जल्दबाजी में जो कदम उठाया
उसी से मात खाई बिना सोचे बहक गए हम दोनों
अब पछताकर होगा क्या ?
किसी से कहने सुनने में भी भय लगता है
यह कदम है गलत क्यों ?
कारण जानने की उत्सुकता ने
हालत और खराब की
बिना बात हँसी के पात्र बन बैठे
दीवाने हुए किसी के प्यार में |
जब तक अपनी गलती समझ आई
बहुत देर हो चुकी थी अब क्या करते
एक ही शिक्षा ली है मेने इस से
अन्धानुकरण कभी न करना चाहिए
चाहे हो जाए कुछ भी
अपनी सोच का दरवाजा भी खुला रखना चाहिए |
आशा लता सक्सेना