19 नवंबर, 2022

किस से करूं शिकायत


                                                     किसी से क्या चाहिए

शिकायत किससे करू

कोई नहीं सुनता मेरी

 हार थक कर आई हूँ

\इधर उधर क्षमा मांगी

किसी ने  सहारा न  दिया मुझे

 अब तक बेसहारा घूम रही हूँ

किसी से सहारे के लिए |

मैंने की अपेक्षा सबसे  अधिक ही

क्या यही थी भूल मेरी

यदि सहारा न दिया दूसरों ने

फिर से क्यों लौटी उन तक |

अपनी आदत न थी कभी

किसी से सहारा लेने की

पर अब समझ लिया है

 अपने आपको  सक्षम बना लेने की  |

अपनी आदतों में सुधार करना चाहा

कोशिश भी की है

 मन का भय भी

समाप्त न हो पाया आज तक |

मन को  संयत किया है

फिर भी अभी तक

 अपने ऊपर विश्वास न हो पाया

अपने कदम बढ़ाने में

किसी का सहारा तो चाहिए |

आशा सक्सेना 

16 नवंबर, 2022

कभी कोई राज न छिप पाया

 कभी कोई राज न छिप पाया 

जब मिल बैठे दो मित्र साथ  

कुछ उसने कही कुछ हमने सुनी 

किसी के कहने सुनने से |

कोई बात का हल न निकला 

बातों का अम्बार जुटा 

हम दौनों के अंतर मन में 

इस विरोधाभास का अर्थ क्या है |

ना तो  हम जान पाए 

नही सर पैर मिला किसी बात का 

अपनी  बातों पर अड़े रहे 

अपनी बात ही सही लगी 

दूर हुए आपसी  बहस बाजी से 

जब अन्य लोगों ने भी दखलंदाजी की

 उन ने भी बहस में भाग लिया |

बात का बतंगड़ बनता गया 

आपस में   दूरी होती गई 

यह क्या हुआ मन को क्षोभ हुआ 

अशांति ने पीछा न छोड़ा 

वह  मुद्दा भी हल न हो पाया 

फिर हमने अपने आप को समझाया |

इन छोटी बातों को कोई महत्व न दे 

 बातों में उलझने का इरादा छोड़ा 

कोई सकारात्मक सोच को 

अपनाने का फैसला किया |

वातावरण एक दम से बदला 

बहुत खुश हाल हुआ 

मन में खुशहाली छाई 

स्वस्थ मनोरंजन हुआ |

आशा सक्सेना 

14 नवंबर, 2022

दिग दिगंत में



दिग दिगंत में अपने आसपास

कुछ ऐसा है जो खींच रहा उसको

 अपने  पास उस में खो जाने के लिए

जीवन जीवंत बनाने के लिए |

जागती आँखों से जो देखा उसने

 स्वप्न में न  देखा था कभी

वह  उड़ चली व्योम में ऊंचाई तक

पर न पहुँच पाई आदित्य तक  |

ताप सहन न कर पाई जो था आवश्यक

गंतव्य तक पहुँचाने  के लिए

उसने सफलता को नजदीक पाया

मन खुशियों से भर आया |

सफलता अपनी इतने पास देखी न थी

 नैना भर आए थे उसके यह हार देख

दोबारा कोशिश की फिर से  

अब दूरी कुछ कम हुई दौनों में

पर पूरी सफल न हो पाई |

आस्था ईश्वर में जागी आत्मविश्वास मन में

लिया नाम प्रभू का साहस जुटाया

अब बहुत आसान हुआ वहां पहुँच मार्ग

सफलता की चमक  रही  चहरे पर |

आशा सक्सेना


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13 नवंबर, 2022

उस ने की वफा

 उस  ने की थी वफा

 बदले में उसे क्या मिला ?

बेरंग जीवन की कटुता मिली 

कंटकों की सौगात मिली

 जब चाहे चोट पहुंचाई जिन ने 

मन की  तल्खियों के सिवाय

 कुछ भी हांसिल नहीं हुआ |

यहीं हार और जीत का हुआ  निराकरण 

पर सही न्याय न मिल पाया 

 जीवन हारा सब प्रयत्नों को कर  

 धैर्य ने भी साथ न दिया उसका 

मन विचलित हुआ सोचा 

 यह क्या किया ?

किसी मित्र ने भी सही सलाह न दी 

अपनी सलाह पर कायम रहा |

उसे  ही गलत ठहराया 

यदि समय पर चेताया होता 

यह दशा न होती मन की |

उसके मन को ठेस पहुंचाई 

अब कुछ न हो पाएगा 

वफा अधूरी ही रह जाएगी 

जीवन हाथ मलता ही रह जाएगा 

और कुछ भी नहीं मिल पाएगा |

आशा सक्सेना 


12 नवंबर, 2022

जीवन बहुत छोटा सा


                                             आधे से अघिक से जीवन बीता
                                     अधिक ही समय बीता नियोजित कार्य करने में 

 जिनको पूरा  करने का वादा लिया  खुद से |

पर ऐसा न हुआ वे पूर्ण न हो पाए 

समय बीता इतनी जल्दी से 

उसे पकड़ न पाए 

हाथों से फिसली हो रेत  जैसे |

झूठे वादे मुझे नहीं आते 

जो वादाखिलाफी से  मुझे बहकाते 

 रंगीन  रातों के स्वप्न दिखाते  

प्रातः के होते ही सूर्य रश्मियाँ 

अटखेलियाँ करतीं  हरे भरे  वृक्षों  से |

यदि उन कार्यों में मैं भी खो जाती 

अपने वादे  कैसे पूरे कर पाती 

हूँ कैसी अब भी समझ में न आया 

फिर कम से कम वादों की पूर्ती का वादा लिया 

जिससे मन को वादा  अपूर्ण

 रहने का कष्ट न हो 

जीवन का शेष समय जो  बचा है 

हाथ में वादा पूर्ति में पूरा  हो |

कर्तव्य करने के बाद मैं 

मुक्ति मार्ग पर चल पाऊँ 

उन कार्यों का हाथ समय के साथ मिला पाऊँ

  हींन भावना का शिकार न होना पड़े 

अपना आत्म विश्वास फिर से पाऊँ 

अपने मन की संतुष्टि पूर्ण कर पाऊँ |

आशा सक्सेना 


11 नवंबर, 2022

मैंने कब गलत किया



                                                    बचपन से आज तक हर बार

 अपने कदम सम्हाल कर रखे 

कोशिश की कि कोई भूल न हो जाए 

सम्हल सम्हल कर जब कदम रखे 

जीवन  जीना आया खुद में संयम आया |

मन का भटकाव  अंतर्ध्यान होगया 

मुझ में धैर्य का समावेश हुआ 

अनोखे सुकून को भी अनुभव किया 

 अब मुझे आवश्यकता नहीं किसी की सलाह की

जो मिलती तो सरलता से है

पर पालन उसका उतना ही कठिन 

कहीं भी जीवन जीना आसान नहीं 

हर समय यही मन में शंका रहती

 मेरे पैर न फिसल जाएं 

धैर्य और संयम मुझसे न दूर हो जाएं |

माँ ने सिखाया था मुझे

  हर वह कार्य जो सब को अच्छा लगे 

जो हो लाभ प्रद किसी को कष्ट न दे 

करने में कोई हर्ज नहीं है |

पर गलत क्या है और सही क्या 

इसका ज्ञान होना ही चाहिए 

यदि यही समझ में होगा स्पष्ट 

कोई कठिनाई न होगी

 सही और  गलत है क्या ?

अपने मन को खोजने में 

मैं ने क्या गलत किया कब उसे दोराहाया 

मन को कष्ट न होगा खुद को समझने में |

आशा सक्सेना 

10 नवंबर, 2022

शिक्षा जीवन भर चलती


 

 

शिक्षा जीवन भर चलती

बचपन अनुशासन की पहली  सीड़ी

मां रही प्रथम गुरू उस उम्र  की

धीरे से जब कदम बढाए

उम्र ने आगे बढ़ने की राह चुनी  |

 कितने ही गुरू मिले पर

संतुष्टि नहीं मिल पाई

सच्चा गुरू  मिला जब

कुछ नया सीखने को मिला |

पूरा पूरा ज्ञान मिला

मन में  संतुष्टि आई

 खुशी चहरे  पर छाई |

तीसरी सीड़ी पर ध्यान  भटका

कहीं अटकने का मन हुआ पहले

पर ठोकर खाई पहले पैर लड़खड़ाए

पर झटके से सम्हले आगे बढे|

चतुर्थ चरण में  राम नाम का आकर्षण हुआ

आने वाले कल की  याद में

मुक्ति के कपाट खुले देख  

आगे बढ़ने की राह मिली

 जीवन को सद्गति मिलती |

आशा सक्सेना