05 जनवरी, 2023

हो रिश्ता कैसा

 कितनी बार समझोता किया 

हर पहलू पर नजर डाली 

जो मन को न भाए दर किनारे किया 

तब भी न बच पाए बिकट रूप ले वार किया |

मन को इतनी ठेस लगी भूले रिश्ते नाते 

,कोई नहीं अपना जान गए हैं वास्तब  में 

रिश्तों को पहचान गए हैं नजदीक से 

 जो रिश्ते दिखावे से बनते सतही कहलाते,

 खून के रिश्ते अलग नजर आते |

रिश्ते जो समय पर दिलो जान से काम आते 

दिखावे में नहीं होता विश्वास उनका 

अपने से ज्यादा मित्रों को कुछ  ना समझते 

 वे  रिश्ते होते मतलब से गहरे  बहुत  |

एक ही रिश्ता  होता पर्याप्त 

 अधिक  की आवश्यकता नहीं होती 

 बुरे समय पर जो  साथ दे नेक सलाह दे 

वही  होता सच्चा रिश्ता बाक़ी सब अकारथ  |

जो  धोखे में रखे नेक सलाह न दे 

ऐसे रिश्ते से क्या लाभ कैसे उसे अपना कहें

जो धोखे में रखे और बचा न पाए दूसरे  को 

अच्छी सलाह न दे पाए  गुमराह करे |

ऐसे रिश्ते से तो अकेले ही अच्छे 

सही  पहचान यदि न हो पाई रिश्ते की

बिना बात ही समस्या बड़ी बिकट हो जाती 

खुद को  मुसीबत में डालती  |

आशा सक्सेना 


04 जनवरी, 2023

राह कंटकों से भरी





 कितने भी मार्ग चुने मैंने 

हरबार काँटों से हुआ सामना 

जितना भी बच  कर निकली  

राह रोकने की कोशिश की उन नें |

वे कोशिश में सफल हुए 

मैंने असफलता का मुंह देखा 

जब भी अन्देखा किया उन का 

मुझे ही कष्ट भोगना पड़ा  |

अब भी समझ में कमी रही  

कितनी सतर्कता रखूँ राह खोजने में 

फिर भी जाना तो है अपने गंतव्य तक 

सोच लिया असफलता से क्या डरना |

फिर से कमर कसी कदम आगे बढ़ाए 

जब झलक देखी सफलता की   मन खुशी से झूमा

अपनी सफलता को करीब से देखा 

सारे  कष्ट  भूल गई सपनों में खो गई 

यही बात सीखी उनसे 

यदि हिम्मत हारी कुछ भी हाथ न आएगा 

किसी का क्या जाएगा 

मुझे ही कष्ट होगा 

जिससे समझोता न हो पाएगा |


02 जनवरी, 2023

कविता लेखन बहुत दुरूह

 


 कविता के कई रूप

 बदल बदल  कर आते

 कोशिश की कुछ नया सीखने की 

रही सदा असफल |

बार बार की कोशिशें जबअसफल रहीं 

मन को संताप हुआ

फिर भी सीखना न छोड़ा 

लगी रही सीखने में |

कोई लाभ न हुआ

 असफलता के सिवाय

 सारी कोशिश  व्यर्थ हुई 

नया सीखने की कोशिश 

 न करने की कसम खाई |

मन बड़ा संतप्त हुआ अपने को अक्षम पा 

 ठन्डे दिमाग से जब  सोचा 

 सिखाने वाले का  कोई दोष न दिखा 

मान लिया  कोई नई बात अपनाने की

 अब सामर्थ्य नहीं  मुझ में  |

फिर भी  लिखने का भूत 

उतरा नहीं सर से 

जब लिखती तब कोई थकान नहीं होती

 नाही कोई  कष्ट  होता |

 व्यस्त रहने में एक अपूर्व आनन्द  आता 

कुछ नया लिखने की कोशिश में 

 जब सफल हो जाती हूँ 

 सफलता को  नजदीक पा कर 

 कुछ और नया   लिखना चाहती हूँ |

आशा सक्सेना 



01 जनवरी, 2023

आने वाला कल



                                                        पिछ्ला वर्ष बीत गया 

 खट्टी मीठी यादों के साथ 

वे दिन लौट कर न आएँगे 

 यादों में सिमट कर रह जाएंगे |

यह भी जानती हूँ सोचती रहती हूँ 

 आने वाले कल से उम्मीदें है बहुत 

कुछ तो परिवर्तन आएगें 

खुशियों की झलक दिखलाएंगे |

इस वीरान जिन्दगी में कुछ नहीं रखा है 

तुमने साथ छोड़ा जीवन के सफर में |

 यही है  संसार की रीत कुछ भी नया नहीं है 

जो इस दुनिया में आया है 

उसे तो जाना ही है पहले या बाद में |

 जो पीछे रह जाता है उसकी आत्मा ही जानती है 

कैसे दिन बीतते हैं अकेले 

कभी तो ठहराव आएगा

इस उलझन भरी जिन्दगी में |

खुशियों की झलक कभी तो  दिखाई देगी 

उदासी लिए इस बेरंग जीवन में 

वह बीत जाएगी  नाती पोतों में 

 यही आशा है  मन में |

आशा सक्सेना 


31 दिसंबर, 2022

शुभ कामना

 


१-शुभ कामना  

नव वर्ष है कल

दे खुशी मुझे

२-है साल नया

 खुशी ले कर आए

समृद्धि लाए

३-सूर्य की आभा  

कल जब सुबह हो  

दूनी चमके

४-खुशी ही खुशी  

नया साल लाएगा

मन की खुशी

५-हर्षित रहूँ

प्रगति करूं कल

जी भर कर

६-नव वर्ष है    

 दो आशीष मुझको

 मैं आगे बढूँ   

आशा सक्सेना   

30 दिसंबर, 2022

सपना मेरा




                                                        आज सुबह होने के पहले 

 एक सपना देखा मैंने 

 सुन्दर सी  पहने हुए थी 

 परियों सी  पोशाक  |

पंख लगाए रंग  बिरंगे  

 तितलियों से ले कर  

 उड़ी जा रही नीलाम्बर में 

कोई न था साथ मेरे |

पहले तो भय लगा 

पर ऊपर जाते ही

 वह तिरोहित हुआ 

उड़ी और बेग से |

अचानक देखा  एक अजनबी

    राह रोके  खड़ा था 

उसने पूंछा  जाती हो कहाँ 

किससे  मिलने |

मैं कहीं भी जाऊं 

तुम्हें इससे क्या 

हूँ परियों की शहजादी  

 घूमने निकली हूँ |

जानना चाहती हूँ 

समस्याएं  प्रजा की 

कितने परिवर्तन हुए 

   किसकी सलाह से |

किसी ने की थी  शिकायत 

मैं  जानना चाहती हूँ 

है यह किसकी  हिमाकत 

उसे शीघ्र ही बंदी बनाऊंगी |

 साथ ले जाऊंगी 

सजा दिलाऊंगी 

जैसे ही वह  दिखेगा  

हथकड़ियां पहनाऊँगी |

  बंदी बना  कर ले जाऊंगी 

वह  हंसा और बोला 

कहीं वह  मैं तो नहीं 

जिसे तुम खोज रही थीं  |

चलो साथ चलता हूँ  

तुम्हारे हाथ पकड़

सूर्य  का आगमन हुआ 

 चिड़ियाँ चहकीं नींद टूट गई 

सपना अधूरा रह गया |

जिसे साथ ले जाना था 

वही मेरे पास खड़ा था  

मैं चौंकी सकुचाई  

क्या तुम ही थे |

आशा सक्सेना 


29 दिसंबर, 2022

नव वर्ष कैसा होगा

 


नव वर्ष आएगा साथ नये इरादे ले कर  

यदि उनको पूरा कर पाए देश ऊंचाई के शीर्ष पर होगा  

किसी से पीछे न रहेगा |

आवश्यकता है किये वादे पूर्ण करने की

शिद्दत से  अपने कर्तव्य निभाने की

देश के प्रति वफादारी की, भाई चारे की

जाती धर्म से ऊपर उठ ,मिलजुल साथ रहने की |

बिना लालच के ईमानदारी के साथ

यदि किये वे  कार्य जो देश हित में हों

भारत को बहुत ऊंचाई तक ले जाएगे  

यही देश वासियों का होगा पुरस्कार |

 गौरव से सर उन्नत होगा हमारा

हम होंगे उन्नत देश के रहने वाले

भारत की गिनती भी होगी विकसित देशों में

विकास शील देशों से होंगे आगे  

भारत  होगा अन्य विकसित देशों के साथ |

 अपने उन कार्यों से जो सोचे हैं

यदि पूरे किये कार्य क्षमता के साथ

योग्यता व हमारा मनोबल बढ़ाएंगे

गर्व हमें होगा विकसित देश के निवासी होने का|

नया साल लाएगा सम्रद्धि व सम्मान भारत को

यही है आशा और विश्वास हमको

केवल वादों से कुछ नहीं होता

उनका पूरा  होना भी है आवश्यक

यही यदि सीख लिया

बहुत कुछ करके दिखाएंगे |

नव् वर्ष  से उम्मीदें हैं बहुत

अमन चैन का जीवन आएगा

सम्रद्धि का परिचायक होगा

नए वर्ष की शुभ कामनाओं के साथ

यही है संकल्प हमारा |

आशा सक्सेना