02 मई, 2014
30 अप्रैल, 2014
चंद हाइकू
(१)
एक भावना
प्यार जताने की है
विकार हीन |
(२)
जलती चिता
मुक्ति है संसार से
हुई विरक्ति |
(३)
अंतिम सांस
अब साथ छोडती
न गयी तृष्णा |
(४)
ना यह दिल
है मेरा आशियाना
हूँ यायावर |
(5)
रात कटे ना
चंद सपने साथ
मेरी सौगात
(६)
रात कटे ना
जागती विरहणी
कोइ जाने ना |
(७)
चंचल मन
बहकते कदम
कहाँ जाएगा |
(5)
रात कटे ना
चंद सपने साथ
मेरी सौगात
(६)
रात कटे ना
जागती विरहणी
कोइ जाने ना |
(७)
चंचल मन
बहकते कदम
कहाँ जाएगा |
29 अप्रैल, 2014
क्षणिकाएं
दबे पाँव पीछे से आना
आँखों पर हाथ रख चौंकाना
सहज भाव से ता कहना
लगते तुम मेरे कान्हां |
(२)
आँखों पर हाथ रख चौंकाना
सहज भाव से ता कहना
लगते तुम मेरे कान्हां |
(२)
ये आंसू सागर के मोती
वेशकीमती यूं ना बिखरें
भूले से यदि अंखियों में आएं
चमक चौगुनी करदें |
(३)
यह गुलाब का फूल
आज हाथों में देखा
कितना कुछ करने को है
यह न देखा |
(४)
ना कहने को कुछ रहा
ना सुनाने को बाकी
जो देखा है वही काफी
उसका सिला देने को |
आशा
27 अप्रैल, 2014
सान्निध्य तेरा
यादें गहराईं
तेरे जाने के बाद
तुझे जान कर
अहसास ऐसा हुआ
अपने अधिक ही निकट पाया
यही सामीप्य
इसकी छुअन अभी भी
रोम रोम में बसी है
यादों की धरोहर जान
जिसे बड़े जतन से
बहुत सहेज कर रखा है
पर न जाने क्यूं
रिक्तता हावी हो जाती है
असहज होने लगता हूँ
उदासी की चादर ओढ़
पर्यंक का आश्रय लेता हूँ
यादों का पिटारा खोलता हूँ
उन मधुर पलों को
जीने के लिए
कठिन प्रयत्न करता हूँ
सफलता पाते ही
पुनः जी उठता हूँ
तेरे सान्निध्य की यादों में |
25 अप्रैल, 2014
वे न आये
ताका झांकी पेड़ों से
तारों से गलबहियां होती
चांदनी चंचल बहकती |
तब भी मन नहीं भरता
सोचता किसे चुने
झील नदी या ताल
या समुंदर की लहरों को |
जुही रात में महकती
नवोढ़ा श्रृंगार करती
राह में पलकें बिछाए
पर होती निगाहें रीती |
चाँद तो आया भी
पर वे न आये
रात बीती सारी
यूं ही राह देखते |
प्रश्न उठा मन में
चाँद
क्यूं लगता अपना
वे रहे पराये
उसे अपना न पाए |
आशा
24 अप्रैल, 2014
22 अप्रैल, 2014
दुनिया रंग भरी
हर रंग जीवन में आता
किसका कैसा जीवन है
वही उसे परिलक्षित करता |
सात रंग से सजा इंद्र धनुष
सातों फिर भी नहीं दीखते
आपस में मिलने जुलने से
हाथ मिला संधी करते |
जब एक दूसरे पर होते हावी
एक वजूद खोता अपना
प्रथम में विलय हो जाता
अद्भुद छटा बिखराता |
सप्तपदी लगती आवश्यक
अटूट बंधन में बंधने को
जन्म जन्म तक साथ रहे
मन्नत यही माँगते |
सात अजूबे दुनिया के
सभी देखना चाहते
कुछ ही होते भाग्यशाली
उन्हें देखने का सुख पाते |
सात का होगा इतना महत्व
पहले जान न पाया
विचार शून्य सा होने लगा
तभी जान पाया |
आशा
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