अचानक विराम आया है
इतने विस्तृतआसमान में
कैसा व्यवधान आया है |
बहती नदिया के जल में
ठहराव सा आगया है
संध्या कीस्याही उतरआई है
निशा का अन्धेरा छाने लगा है |
छलकने लगा है घट का जल
रिसने लगा है उससे जल
कहीं कोई हादसा हुआ है
शायद उसी का सन्देश लाया है |
दीपक रीता हो चला है
पर रात अभी बहुत बाक़ी है
महक हरश्रंगार की बता रही है
श्वेत चादर बिछाना बाक़ी है |
तम यदि ना छट पाया
उड़ान अधूरी रह जाएगी
बहती नदिया मार्ग बदलेगी
अस्थिरता बढ़ती जाएगी |
स्थिर मन होने के लिए
कई पडाव पार करने हैं
यदि यही पड़ाव अंतिम हो
कई कार्य अधूरे पड़े हैं |
इस पार से उस पार तक
मार्ग दुरूह होगा पता है
अचानक आए विराम का
अर्थ समझ आने लगा है |
पर कार्य के विस्तार को
कहीं तो रोकना होगा
आनेवाले कल में स्वयं ही
अवरोधों से बचना होगा |
यही बातें यदाकदा मुझे
परेशान करती रहती हैं
मझधार में नैया
उसमें में अकेली मैं |
जैसेभी हो पार तो जाना है
यहाँ भी जगह नहीं है
नाही कोई ठिकाना है
आशा |