22 जनवरी, 2019

जिए जा रहे हैं


जिए जा  रहे हैं 
मर मर कर जिए जा  रहे हैं
जीवन को खींछे  जा   रहे हैं
जिन्दगी की गाड़ी न थमती
 उसे ही ढोना है
आखिर कब तक सहारा देगा
न जाने कब थम जाएगा
कौन जाने क्या होगा  
पर हमने हार न मानी है
खून पसीना एक कर
साहस जुटा रहे हैं
हर समस्या का समाधान
जितनी भी कठिनाई आए
कोशिश उसे हल करने की
मन में जुटा रहे हैं
मोर्चा छोड़ नहीं  रहे हैं
जीने की इच्छा आहत हुई है
हो गई है  बोझ अचानक
उसे ही सहे जा  रहे है
एक पहिया हुआ खराब
अब बारी है दूसरे की
जब तक जीना है
कुछ एसा ही सहना है|

आशा

19 जनवरी, 2019

जब भी देखा उसने


जब भी  देखा उसने
 हसरत भरी निगाहों से
मन की बात
 जवान पर आ ही गई
पर अचानक चुप्पी देखी 
जब देखा शब्दों का
 टोटा हुआ है
मूंह  तक आते आते 
 कहीं अटक जाते 
जाने कहाँ खो जाते 
सोचने को बाध्य हुआ
ऐसा क्या करूँ कि 
अपनी बात स्पष्ट कर पाऊं
तभी एक करिश्मा हुआ
न जाना कैसे उसने
 मेरे दिल की बात सुन ली
जीवन खुशरंग हुआ 
 मेरी जिन्दगी  में
दूध में चीनी की तरह 
 वह इक नई  जिन्दगीं
 सी घुलने लगी मुझमें |
आशा 


18 जनवरी, 2019

प्यार नहीं तो और क्या है ?















छिप छिपकर
 परदे की ओट से झांकना
कमरे में बेचैन हो
 चक्कर काटना
सुध बुध खो
 दरवाजे पर नजरें टिकाना
यह प्यार  नहीं तो और क्या है ?
मिलने पर नजरें चुराना शर्माना
और अधिक शोख हो जाना
यहाँ प्यार नहीं तो और क्या है ?
ध्यान  न रहे
 बेकरारी में  बेहाल हो
कभी हंसना
 रूठने का नाटक करना
झूटमूट में नयनॉ का  डबडबाना
यह प्यार नहीं है तो क्या है ?
मन के भाव 
 उजागर हो जाते है
अन्दर से हाँ 
ऊपर से ना  करना
मनुहार करवाना
 रूठने का नाटक करना
यह प्यार नहीं तो और क्या है ?
आशा
  




मानवता


हुई मानवता शर्मसार
रोज  देखकर  अखवार
बस एक ही सार हर बार
मनुज के मूल्यों का हो रहा हनन   
 ह्रास उनका परिलक्षित
 होता हर बात में
आसपास क्या हो रहा
 वह नहीं  जानता
जानना भी न चाहता
है लिप्त आकंठ 
निजी स्वार्थ की पूर्ति में
किसी भी हद तक जा सकता है
समवेदना की कमीं हुई है
दर्द किसी का अनुभव न होता
वह केवल अपने मे
 सिमट कर रह गया है
सोच विकृत हो गया है
दया प्रेम  क्या  होता है
 वह नहीं जानता
 वह भाव शून्य  हुआ है 
मतलब कैसे पूरा हो
बस  वह यही जानता
आचरण भृष्ट चरित्र निकृष्ट
और क्या समझें
है यही सब चरम पर
मानवता शर्मसार हुई है
अनियंत्रित व्यबहार से 
चरित्र क्षरण  हो गया है 
आए दिन की बात 
समाज में विकृतियों का आवास
यह  हनन नहीं है तो कया ?
मानव  मूल्यों का |
आशा

17 जनवरी, 2019

दोस्त

न्यूज़ फ़ीड


दोस्ती होती दिल से
कोई जोर जबरदस्ती नहीं
जब मन मिल जाएं
कोई उसे तोड़ नहीं सकता
है यह एक ऐसी  भावना
जो हो जुड़ी दिल से
सच्ची मित्रता यदि हो
सही सलाह दे पाए
आड़े समय पर काम आए
वही दोस्त कहलाए
यही उसकी होती परख
दोस्ती की मिसाल है
कृष्ण सुदामा का प्यार
यहाँ बड़ा छोटा नहीं होता
बस प्यार ही प्यार होता |
आशा

16 जनवरी, 2019

पतंग





व्योम  में मीना बाजार सजा

अनगिनत रंगबिरंगी छोटी बड़ी पतंगें

उड़ने को तैयार हुईं सजबज कर

नैनों  से नैनों के पैच

 लड़ाने का रहता उद्देश्य प्रमुख

जब पतंग उड़ने लगती

ढील से मांझे की पेंच लड़ाए जाते

जब पतंग कट जाती शोर मचाते बालक

लाड़ली पतंग  आई है

 साथ में साली भी आई है

बेचारी कटी पतंग अकेली
आसमान में उड़ती
फिर धराशाही हो जाती 
लूट ली जाती 
 न जाने कितने छंद  बनाए जाते
माइक पर सुनाए जाते
पूरा आनंद उठाते पतंगबाजी का

गुड तिल बाँट प्रेम भाव दर्शाते  

संक्रांति होती बहुत धूमधाम से |
आशा

12 जनवरी, 2019

शिकवा शिकायत किस लिए






झूलते झूलते 
गिर कर उठना 
उठ कर सम्हलना 
नहीं है सरल सुलभ 
यही अहसास हुआ 
इतनी सी बात
जो नहीं जानते 
खुद को नहीं पहचानते |
सत्य से दूर भागते 
सोचो समझो
परखो खुद को 
जिसने समझ लिया 
वही आगे बढ़ पाया 
जलने वाले रहे जलते 
हंसने वाले हंसते रहे 
दूसरों के सभी कार्य 
उनको खलते रहे 
गिला शिकवा किस लिए 
किसके लिए |
आशा

10 जनवरी, 2019

ऊंची उड़ान












क्यूँ न ऊंची उड़ान भरें 
नई ऊँचाई छूने को
हो कर कटिबद्ध
सब से आगे जाएं |
हसरतें पूर्ण करें मन की
कुछ शेष न रह पाएं
थोड़े से अरमा जो रहे शेष
उन्हें अंजाम तक पहुंचाएं |
क्या गलत है इसमें ?
अब तक समझ न पाई हूँ
हर बार वर्जना सहते सहते
बगावत पर उतर आई हूँ |
समझाती हूँ मन को
दिलाती हूँ दिलासा दिल को
सब ख्वाब पूर्ण नहीं हो सकते
पर यत्न किये जा सकते हैं
उस पर इतना बबाल क्यूँ ?
उड़ान ऊंची है

 पर असंभव नहीं
प्रयत्न कभी निष्फल नहीं होते
यदि हो भी जाएं तो क्या ?
कोशिश न करना

 है व्यर्थ की अवधारणा
वही सफलता को चूमते
ऊंची उड़ान भर पाते हैं
जो हिम्मत नहीं हारते
सफलता होती भरपूर 

 मेहरवान उन पर |
आशा 

09 जनवरी, 2019

कुछ गलत नहीं करेंगे हम


कुछ गलत नहीं करेंगे हम 

दुनिया से नहीं डरेंगे हम 

अगर कोई व्यवधान आया 
सामना डट कर  करेंगे हम |
अपनी बातें सही ढंग से 
सबके सामने रखेंगे हम 
हमारी गलती यदि हुई 
स्वीकार करेंगे हम |
वह शक्स क्या जो 
अपने को सही समझे 
बाक़ी सब को झूटा ठहराए 
किसी की बात न माने |
किसी भी बात पर 
अपनी वाली ही चलाए 
सही गलत का निर्णय ना ले पाए 
ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे हम |

आशा

सब



 अति आवश्यक हो गई
 जब  रहें  सब
 एक जुट हो कर 
 सब में सिमट कर|
सब में है इतनी शक्ति 
  सभी भय खाते उससे
 अकेले यदि होते 
 चक्रव्यूह में फँस निकल नहीं पाते 
सब ने समेटा है मुठ्ठी में
 फैले हुए हर कार्य को
जल्दी ही पूरा हो जाता
 जब  सभी एकजुट हो जाते
एक ही  पर अपनी
  दृष्टि केन्द्रित करते
सब की महिमा है अपरमपार
 उंगलियाँ जब एक साथ होतीं
 मुठ्ठी में  सिमट जाती
 उनमें  शक्ति  आती अपार 
 उंगली अकेली कुछ नहीं कर पाती
सभी  एक जुट होते जब
बड़ा कार्य सरलता से करते हाथ
तभी कहा जाता है बंघी मुट्ठी लाख की
सबके  साथ की ताकत 
 शक्तिशाली बनाती  सब को
बिखराव नहीं आता समाज में
जब  शक्तिशाली सोच उभरते
 विघटन के कगार पर खड़े
 अधिकाँश लोग सोच रहे
कैसे  हों एक साथ सब
 एक विचारघारा से जुड़े संगठन
समभाव रहे आपस में जिससे 
स्वच्छ प्रशासन दें सकें  
 जो  हो सब के हित के लिए 
केवल स्वहित के लिए नहीं 
देश की सुख समृद्धि के लिए
 सोचें कार्यों  को करें गति प्रदान |
आशा 

02 जनवरी, 2019

सद्भावना













–भावना  मन में हो  प्रवल
भाव भलाई के हों
 ना कि दुर्भावना के
समाज बना सामंजस्य
 बना कर चलने से 
साथ रहते समान विचारों वाले
मिलजुल कर  कार्य  करते
 एक विचारधारा वाले
कभी मत भिन्न होने लगते
  तब  मति भ्रष्ट हो जाती
बिना बात बहस छिड़ जाती
वहीं से चिंगारी उड़ती
दहकते अंगारों का रूप लेती
 सद्भावना में दरार पड़ जाती
लाभ अनेक आपसी तालमेल के
सुख शान्ति समृद्धि लाने के
जब नीव के पत्थर हिलने लगते  
बिघटनकारी सर उठाते
फटी हुई चादर नजर आते
जैसे ही सुलह सफाई होती
पैबंद चादर में लगे नजर आते
है सद्भावना अति आवश्यक
स्वस्थ समाज की नीव के लिए
होती प्रवल इमारत उसकी 
सब प्रेम से हिलमिल रहते 
सत्य तो यही है सद्भावना है 

 आवश्यक सौहाद्र के लिए 
आशा 



01 जनवरी, 2019





क्षणिकाएं


1-है क्या इसकी आवश्यकता
जब क्षमा नहीं की जा सकती खता
मैं तो हारी यही जता
वह है नहीं क्षमा योग्य
क्या फ़ायदा उसे यह जता |
2- सदा समय के साथ चले

 ना ही कोई भूल की हमनें 
बीती बातें भूल नववर्ष  का
 जश्न मनाने लगे |
३-मौसम सर्दी का आया
ठण्ड से तालमेल रखने का
खुद को स्वस्थ बनाने का
 सन्देश लाया खुशहाली का |
४-तुम जाना गोकुल ग्राम ले जाना सन्देश मेरा
गोप  गोपियों को बड़े प्यार से समझाना
मैं कहीं दूर नहीं उनसे रहता सदा जुदा उनसे
ज्ञान बांटना वैराग्य का मेरा महत्त्व समझाना |
5-सच में झूट की मिलावट है कि नहीं 
कहने को तो कटु लगता है
बात मेरी सत्यपरक है या नहीं 
किसी भी मानक पर तोल लो
मुझे सत्य की परख है कि नहीं |

6-खुसरो दरिया प्रेम का
कलकल बहता जाए
डूबकी लगाए जब तक
मन अनंग न हो जाए |
आशा

आशाआशा

30 दिसंबर, 2018

साथी मेरे






  •  दिल है हमारा 
     कोई शिकार नहीं
    तीर नयनों से
     क्यूँ चलाने लगे
      जो कहर बरपाने लगे
    राह में कंटक अनेक
    पर  फूल भी कम नहीं
    और  राहें भी जुदा  नहीं
    फिर किस लिए
     दामन में मुंह
     छुपाने लगे
    क्यूँ राह से भटकने लगे
    हम हैं सरल सहज
     व्यक्तित्व के धनी
     ना  कोई फरेवी
     ना ही  कपटी
     स्वच्छ छवि है हमारी
    जो मन में है वही
     चहरे के भावों में
    दुनियादारी से
     दूरी बना कर चलते
    एक ही राह पर
     कदम बढ़ाते हैं
    आवश्यकता नहीं
    किसी की सलाह की
    नयनों के तीरों की
    या ताकाझांकी की
      खुद के नयन ही काफी है
     पथ प्रदर्शन के लिये |

28 दिसंबर, 2018

लौटा दो मुझे बीता हुआ बचपन

नहीं चाहिए मुझे 
कोई उपहार
बस लौटा दो मेरा
बीता हुआ बचपन
कहना बहुत सरल है 
पचपन में बचपन की बातें

शोभा नहीं देतीं
मैंने तो पचपन पार कर लिया
तुम क्या जानों ?
कितना सुकून मिलता है
उस दौर को याद कर
वहीं जाना चाहता है
पीछे पलटना चाहता है

 वे दिन भी कितने प्यारे थे
खिलोने थे  मुझे बहुत प्यारे
दिन उनमें खो कर 
कहाँ गुम हो जाता था 
जान न पाती थी 
सिलाई कढ़ाई सीखी थी 
सभी खेल खेल में 
पढ़ना पढ़ाना भी
 तभी का शौक था 
जीवन जीने का
 था शगल अनोखा|
आशा