बहती गंगा
है जल नदिया का
शुद्ध और पवित्र
आम आदमीं
संचित रख उसे
समय पर
उपयोग करते
आस्था के नाम
मंदिर में रखते
आवे जमजम सा
चाही जगह
उपयोग करते
शुद्धि के लिए
पवित्र जल जान
मैंने सोचा जल को
पूजा जाता है
रूप आस्था का
दृष्टिगत होता है
हर धर्म में
एक पवित्र ग्रन्थ
शुद्ध जल है
जिन पर आस्था हो
पूजे जाते हैं
है सवाल आस्था का
ना कि धर्मों का
फिर हर समय
झगड़ते क्यूँ
धर्म के नाम पर
पढ़ा लिखा है
किस धार्मिक ग्रन्थ में
मन मुटाव
दो धर्मों में होता बैर
भेद दिलों में
है कहाँ समन्वय
दो दिलों में
रहा कष्ट मन को |
आशा