जैसे ही ग्रीष्म ऋतु आई
जीवों में बेचैनी छाई
वृक्ष आम के बौरों से लदे
आगई बहार आम्र फल की |
पक्षियों की चहचाहट
कम सुनने को मिलती थी
मीठी तान सुनाती कोयल
ना जाने कहाँ से आई |
प्रकृति सर्वथा भिन्न उसकी
रात भर शांत रहती थी
होते ही भोर चहकती थी
उसकी मधुर स्वर लहरी
दिन भर सुनाई देती थी |
जब पेड़ पर फल नहीं होंगे
जाने कहाँ चली जाएगी
मधुर स्वर सुनाई न दे पाएंगे
वातावरण में उदासी छाएगी |
दिखती सुंदर नहीं
कौए जैसी दिखती है
पर मीठी तान उसकी
ध्यान आकर्षित करती है |
घर अपना वह नही बनाती
कौए के घोसले में चुपके से
अंडे दे कर उड़ जाती
वह जान तक नहीं पाता |
ठगा जाता नहीं पहचानता
ये हैं किसके ,उसके अण्डों के साथ
उन्हें भी सेता बड़े जतन से
गर्मीं दे देखभाल करता |
बच्चे दुनिया में आ, बड़े होते
जब तक वह यह जानता
वे उसके नहीं हैं
तब तक वे उड़ चुके होते |
कहलाता कागा चतुर
फिर भी ठगा जाता है
है अन्याय नहीं क्या ?
कोयल का रंग काला
पर है मन भी काला
कौए सा चालाक पक्षी भी
उससे धोखा खा जाता |
आशा