कबूतर तुम्हारा नियमित आना
समय से दाना चुगना
वख्त की अहमियत
समझना
यही है मूल मन्त्र जीवन पथ पर
अग्रसर होने का |
रोज निगाहें
टिकी रहती हैं
छत पर समूह में एकत्र हो तुम
कब आओगे दाना चुगने
ध्यान वहीं रहता है
कहीं भूखे तो न रह जाओगे
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जब भूख तुम्हारी
शांत होती है
मुझे आत्म संतुष्टि
मिलती है
जब तृप्त हो व्योम
में उड़ जाते हो
मैं सोचती हूँ कितनी शान्ति
होती होगी तुम्हारे मन में |
तुमसे मैंने भी
शिक्षा ली है
यह जीवन है सद्कार्यों के लिए
परोपकार का महत्व समझा है
अपने लिए जीना ही पर्याप्त नहीं |
आशा