हर युग में महिलाओं ने ही दी है
अग्निपरीक्षा
अपनी शुचिता सिद्ध करने के
लिए
यह केवल महिलाओं तक ही सीमित क्यूँ
?
किसी कार्य को सही बताने के लिए |
कठिन परिक्षा केवल
उन्हीं के लिए क्यों ?
क्या पुरुषों से कोई गलती कभी
होती ही नहीं
जब होती है उसे अपना अधिकार
मान लेते है
क्षमा माग पतली गली से निकल लेते
है
उन्हें यूं ही छुटकारा मिल जाता
है |
हर बात की सच्चाई साबित करने
के लिए
महिलाओं पर ही नियम थोपे जाना
उन्हें दूसरे दर्जे की नागरिक समझना
है यह न्याय कहाँ का ?
सतयुग में सीता ने दी थी अग्निपरीक्षा
अपनी पवित्रता के प्रमाण के लिए
भूल हुई थी उनसे लक्ष्मण रेखा पार कर
यदि कहना माना होता इतने कष्ट न सहना होते
राम रावण युद्ध न होता |
पुरुष और महिला दौनों को ही जूझना पड़ता है
हर कठिन समस्या से गुजरना पड़ता है सामान रूपसे
कहने को महिलाओं की आजादी बढ़ी
है
पर सच्चाई है कितनी |
बाहर महिला उन्नयन की बातें जो करता है
वही घर में महिलाओं पर अत्याचार करता है
दोहरी नीति अपनाता है
यह दोहरी मानसिकता क्यूँ ?
अग्नि परिक्षा देनी हो तो दोनो दें महिला अकेली क्यूँ ?
आशा