आज क्या रहा रहस्य
जानने को
हर बात की जानकारी
सहज ही मिल जाती है |
यही जानकारी बना देती
छद्म मर्मग्य उसे
एक मुखौटा चहरे पर
और चिपक जाता है |
असली रूप
कहीं दब जाता है
पहचान नहीं हो सकती
है असली की |
असली नकली के सच को
उजागर करना
होता सरल नहीं
बात छिपी रह जाती है मन में |
जो जैसा है
दिखाई नहीं देता
वास्तविकता का एहसास
आसान नहीं है |
चंद फितरती लोग
लाभ उठा लेते हैं
ऐसे अवसरों का
बन जाते हैं छद्म मर्मग्य |
आशा