पहने पीताम्बर
श्यामल गात
अधरों पर मधुर
मुस्कान लिए
घूमते गली गली
माखन खाते
खुद खाते खिलाते
ग्वालवाल को
लिए साथ जब भी
एक गजब
कहानी बन जाती
गिला शिकवा
शिकायत तो होते
पर क्षमा की
गुहार भी लगाते
सीधे साधे हो
जाते
कोई कहता
माखन चोर कान्हां
नन्द किशोर
यशोदा के दुलारे
मोहन प्यारे
बाँसुरी बजा रिझाते
गोप गोपियां
रंग रसिया होते
राधा बिना अधूरे
मोहन होते
आशा