हुई पूर्ण फिर भी
क्यूँ खुशी नहीं
मुख मंडल पर
मुझे बताओ
मन में विचार क्या
पलने लगा
होता यदि मालूम
शायद जानू
मैं तुम्हें पहचानू
मदद करो
किसी काबिल बनू
जीतूँ विश्वास
गोरे सुर्ख गालों की
मुस्कान पर
लगी मेरी मोहर
किसी और से
मैं कैसे उसे बाटूं
आशा