दीवाना हुआ
तेरी छवि देखते
खोया ख्यालों में
बनाली है तस्वीर
मस्तिष्क में भी
क्यों हुआ हूँ अधीर
दोगे दर्शन
हम सब को साथ
तुम्हारे हाथ
होंगे मेरे ऊपर
ख्यालों में डूब
जाता
तन बदन
ठहर जाता मन
एक स्थल पे
जाना नहीं चाहता
जन्म ले कर
फिर से धरा पर
जन्म मृत्यु के
चक्र व्यूह में फंसा
मुक्ति मार्ग का
मैं रहा अनुरागी
दीवाना फिर भी हूँ
पाया है जिसे
बहुत जतन से
फिर से खोना
नहीं मंजूर मुझे |
आशा