उसकी क्या खता है
एक निगाह में देखा था
तुमने ही पसंद किया था
तुम्हारे योग्य समझ |
सभी सर्वगुण संपन्न नहीं होते
क्या तुम में कमी कोई नहीं
बह भी निभा रही साथ तुम्हारा
हर बात तुम्हारी मान लेती सही समझ |
विवाह एक समझोता है आज
विश्वास पर टिका है
पवित्र बंघन पति पत्नी के बीच आज
रिश्ता नहीं जनम जनम का |
वैसे किसी ने देखा नहीं है
जन्म जन्मान्तर का चक्कर
दौनों को ही झुकते देखा
समय की नजाकत देख |
किसी को क्या दोष देना
भाग्य में पहले से ही लिखा है
जो ना मिला वह पत्थर था
जिसको पाया वही सच्चा मोती है |
समझदारी, व्यवहारिक बुद्धि है आवश्यक
जीवन की नैया चलाने को
जल के बहाव के संग बहना है
यदि समाज में रहना है |
जब नियम न पालोगे
डूबेगी नैया मझधार में बच न पाओगे
भव सागर के दलदल से
फँस कर रह जाओगे उसमें |
आशा