तुम गेंदे के फूल
मैं पंखुड़ी तुम्हारी
मन में बसा रहता |
त्यौहार तुम बिन
रहता है अधूरा
जब भी तुम्हारी
आती बहार फूलों की |
खेतों और बागीचों में
जिधर निगाहें जातीं
तुम्हारे बिना
उन्हें अधूरा पातीं |
मेरी प्रसन्नता का
ठिकाना न रहता
बागों में बहार
देख पुष्पों की |
क्यारी जब सूनी होती
मन को बहुत दुःख पहुंचाती
रंग तुम्हारा मन को भाता
और मन को बहलाता |
आशा