वह नहीं जानती
किसी की दुर्वलता पर हंसना क्या होता है
जिसने इसे भोगा नहीं इसी जिन्दगी में |
जीवन कटुता से भरा हो
जब हो हाल बेहाल
हंसने का कोई कारण तो हो |
यही कुछ बीते जब खुद पर
सोचो जीवन कैसा होगा |
न प्यार न इकरार
ना हीं मान मनुहार
रूठना मनाना कुछ काल का
होता है शहादत
प्यार के इजहार का |
कभी शब्द नहीं होते
क्षमा माँगने के लिए
इन प्रपंचों से बचकर निकलने के लिए
जीवन सुखमय करने के लिए |
यही समस्या है आम आदमीं की
भूल करता नहीं हो जाती है
इससे कैसे बचे कोई तो उपाय हो|
कभी अहम् आड़े आता है
क्षमा और शब्दों के बीच
झुकने नहीं देता उसे |
उसके अहम् को ठेस पहुँचती
किसी भी समझोते पर विश्वास नहीं होता
प्रयत्न जब असफल ही रहते हैं
जीवन अधूरा रह जाता है |
आशा