11 नवंबर, 2021

मन के भाव पिरोए एकांत में


 

गीत गाता रहा गुनगुनाता रहा 

  एकांत में 

मन के भाव पिरोए हैं 

बंद कमरे में |

झांका तक नहीं  बाहर

किसी अनजान को

मुझे किसी की दखलन्दाजी  

अच्छी  नहीं लगती 

किसी भी काम में |

जिस कार्य को पूर्ण करने का

 बीड़ा उठाया है

उसे पूरा करने की

क्षमता भी  है मुझ में |

अधूरा कार्य छोड़ना

 उससे पलायन करना

नहीं लगता

 न्यायसंगत मुझे |

उस के साथ अन्याय

मुझे पसंद नहीं

गीत कहाँ तक सफल हुआ

 कैसे जानूं

जब सुने कोई

 खुद को पहचानूं |

है अपेक्षा यही कि

 गीत  परिपूर्ण हो

यदि सफलता मिले उसमें  

और नया गीत बने |

अधिक उत्साह से

 कुछ और लिखूं

धुन बनाऊँ गुनगुनाऊँ 

जो मन को छुए ऐसा गीत रचूं|

आशा 


10 नवंबर, 2021

हाइकु


 

१- प्यारा संगीत  

बसा  मन में ऐसा  

  रहा ख्यालों में   


२-शोभा न देती 

प्यार न हो दिल से 

लाग लपेट 


३-कहना माना

क्या गलत न किया

क्षमा करना


४-तुम न आए

हर आहट पर

चौंक रही हूँ


५-छाया उजाला

 रात अमावस की

दीप्ति मान है


६- किया श्रृंगार

बाली उम्र में यह

किस के लिए


७-प्यार दुलार

भरा दिल में फूटा

गर्म लावे सा 


आशा

  

 

09 नवंबर, 2021

शमा जली सारी रात

 




शमा रात भर जलती रही
कब सुबह हुई जान न पाई
जब उनीदी आँखों से देखा
स्नेह अंत के कगार पर देखा |
मन को बड़ा संताप हुआ
क्या यह मेरी भूल न थी
अब जान गई हूँ
अपनी भूल पहचान गई हूँ |
यदि थोड़ा ध्यान धरा होता
तू भी जलती रहती रात भर
किसी को कुछ कहने का
अवसर न मिलता |
पतंगों के उत्सर्ग की व्यथा देखी
मन क्षोभ से भरा
अपनी व्यथा किससे कहूँ
समय बीता बात गई
कुछ करने का समय न रहा शेष
मैं क्या करू|


झूटे वादे


 

यूँ तो कोई

वादे नहीं करते

यदि वादे कर लिए

 पूरे नहीं करते |

 उनको निभाने का

 नाम न लेते  

यह झूटी बातें किसलिए

किसे बहकाने  के लिए |

होता  क्या लाभ

इन ऊंची नीची बातों का

क्या जानते नहीं

ऎसी बातें कभी छिपती नहीं |

जब उजागर होती हैं

सब की निगाहों से

 गिर जाते हैं

 इज्जत नहीं होती समाज में

 हो जाते हंसी के पात्र  |

तब मन को

बहुत कष्ट होता है

शर्म से नत मस्तक

 होने के सिवाय

कुछ भी प्राप्त नहीं होता |

 वादा करो कोई वादा किया यदि  

पूरी निष्ठा से निभाओ  

तभी तुम्हारी

बातों की कद्र होगी बातों के पक्के

 माने जाओगे |

आशा 

08 नवंबर, 2021

जीवन अधूरा



                       वह नहीं जानती 

 किसी की दुर्वलता पर हंसना क्या होता है

जिसने इसे भोगा नहीं  इसी जिन्दगी में |

जीवन कटुता से भरा हो

 जब हो हाल बेहाल  

हंसने का कोई कारण तो हो |

यही कुछ बीते जब खुद पर

सोचो जीवन कैसा होगा  |

न प्यार न इकरार

 ना  हीं मान मनुहार 

रूठना मनाना कुछ काल का

होता है शहादत 

प्यार के इजहार का  |

कभी शब्द नहीं होते

 क्षमा माँगने के लिए

इन प्रपंचों से बचकर निकलने के लिए 

 जीवन सुखमय करने के लिए  |

यही समस्या है आम आदमीं की

भूल करता नहीं हो जाती है 

 इससे कैसे बचे कोई तो उपाय हो|

कभी अहम् आड़े आता है  

क्षमा और शब्दों के बीच 

झुकने नहीं देता उसे |

  उसके अहम् को ठेस पहुँचती 

किसी भी समझोते पर विश्वास नहीं होता

प्रयत्न जब असफल ही रहते हैं 

 जीवन अधूरा रह जाता है | 

आशा 

07 नवंबर, 2021

वर्ण पिरामिड

 

तेरी 

सुघड़ 

छवि वही 

तुझ में बसी 

दूर न मुझ से 

सब से प्यारी मुझे 

बहुत  न्यारी प्यारी है 

कोई और  नहीं चाहिए |


तेरी 

सुप्रिया 

हमदम 

हम सफर 

ख्यालों  में बसी हूँ 

कभी नजारों में हूँ 

हूँ  इतने करीब कि 

मैं तुझसे दूर नहीं हूँ |

 

 एक

 कारवा 

जानेवाला 

देशाटन को

मुझे  जाना होगा 

 खोज रहा  सुकून 

दूर नहीं  मेरा गाँव 

कुछ तो परिवर्तन हो |

आशा 



06 नवंबर, 2021

भूली विसरी यादेँ


 

है ऐसा क्या

 उन यादों में

स्वप्नों में भी 

 यादों से बाहर

न निकल पाई |

लाखों जतन किये

सब  हुए व्यर्थ

मैं ना खुद सम्हली

न किसी को

उभरने दिया |

जितनी भी कोशिश की

सब व्यर्थ हो गई  

यादों का दलदल

पार न कर पाई

उसी में डूबती

उतराती रही |

किसी ने जब

हाथ बढाया

बचाने के किये  

झटका हाथ |

 फिर से वहीं

 डूबती रह गईं

 कोशिश का  मन

अब न हुआ  

उसमें ही खो गई |

यही यादें बनी 

जीने का संबल मेरा 

कहाँ समय बीता

अब याद  नहीं |

आशा