एक छत के नीचे
कुछ लोगों के रहने से
घर नहीं होता
घर बनता है संस्कारी लोगों के एक साथ रहने से|
एक ही विचार के
लोग जब एक साथ रहते
बड़े छोटे का लिहाह करते
संस्कारों से बंधे रहते रिश्तों को समझते
सही माने में बने घर में रहते|
एक छत और चार दीवारों से
कभी घर नहीं होता
वहां रह कर भी साथ रहने वाले
अपनेपन से कोसों दूर रहें जब
उनका घर में रहना है बेकार
कभी सुख दुःख में साथ यदि न हो
तब कैसा घर और वहां रहने वाले |
सोच कर भी मन संतप्त होता है
एक छत के नीचे रहने वाले
मिल बाँट कर खाने वाले
सुख दुःख में साथ देने वालों से ही
घर का एहसास होता |
घर चाहे कितना बढ़ा या छोटा हो
यदि प्रेम आपस में न हो
चाहे सुख साधन हों य न हों
घर जाना जाता वहां रहने वालों से |
वहां जा कर जो सुकून मिलता है
दुनिया के किसी भाग में नहीं मिलता
मित्र भाव माता पिता का स्नेह भाई बहन का वहीं मिल पाता जहां मेरा घर होता |
आशा