15 जुलाई, 2022
जीवन की गाड़ी
12 जुलाई, 2022
हाइकु
१-भरे दो नैन
तेरा उत्साह देख
बह निकले
२- मन ने सोचा
नृत्य तेरा देख के
तू गुणी है
३-छलके अश्रु
गर्म जल धारा से
हुई विभोर
४-आज की नारी
है सक्षम सफल
अक्षम नहीं
५-मोहताज है
बस तेरे प्यार की
नहीं विवश
६-मांग आज की
नफरत नहीं हो
प्यार ही प्यार
७- हैं भाई भाई
हम सब एक हैं
धर्म ना बांधे
८-शालीन हुए
म्रदु भाषी हो गए
संस्कारी हुए
९- भीगे भागे से
छाते के अन्दर से
झांकते वर्षा
१०-जल फुहार
आसमा से बरसी
भिगोने लगी |
11 जुलाई, 2022
रिश्ते कैसे कैसे
सागर सी गहराई होती रिश्तों में
सतही नहीं हों तो अधिक अच्छा है
जब गहराई उनकी नापोगे समझ जाओगे
क्या है आवश्यक उन्हें निभाने के लिए |
रिश्ते निभाए जाते हैं अंतस की गहराई से
सतही जब वे होते टूटने के कगार पर होते
स्थाई वे हो नहीं सकते ड़ाल हिलाते ही बिखरते
तेज हवा के झोंके उन्हें बिखराते यहाँ वहां |
वे वास्तव में होते जाते दूर सभी
अपनों से
ड़ाल से टूटे हुए सूखे पत्तों जैसे
यही बिखराव उनका पीले पत्तों सा
मेरे मन को बहुत ठेस पहुंचाता |
किसे कहूं अपना दुःख जान नहीं पात़ा
रिश्ते माने हुए हों या खून के
पर सच्चे दिल से जब अपनाए जाते
तभी रिश्तों के नाम से पहचाने जाते |
जन्म से जुड़े रिश्तों की है और बात
समय आने पर अपनी पहचान का पता देते
समय पर अपनेपन का एहसास कराते
कोई अपनों से दूर नहीं हो पाता
समय के साथ और करीब होता जाता |
जो रिश्ते बनते मतलब पूर्ण करने को
वे होते कागज़ के फूलों से दिखावट से भर पूर
मतलब निकल जाते ही वे भी
पलायन कर जाते पतली गली से |
आशा
10 जुलाई, 2022
आगमन वर्षा ऋतु का
गर्म हवाओं के साथ रेस
लगाने का इरादा है
जल्दी ही होगा परिवर्तन मौसम खुशनुमा होगा
वृक्ष नन्हीं जल की बूदों से स्नान करेंगे |
डालियों पर रंग बिरंगे फूल खिलेंगे
शबनमी गुलाब मन मोहक लगेंगे
पाकर जिसे मन का कौना कौना
अति आनंदित होगा खुशियों से
सराबोर होगा
धरा का कण कण जल में तरबतर होगा
हरियाली का रंग धरा पर
चढ़ेगा |
फूलों की सुगंध से बगिया महकेगी
वहां से कहीं जाने का मन न
होगा
कभी ठंडी हवा का झोका आएगा
सारे तन मन को भिगो जाएगा |
है यही बारिश के मौसम आनंद
जिसका इन्तजार रहता बेतावी
से
चारो ओर जल ही जल होता
समा बड़ा रंगीन होगा |
आशा
09 जुलाई, 2022
मन की उथलपुथल
कितनी बार सोच विचार कियी
सही गलत का
आकलन करना चाहा
पर किसी निराकरण पर न पहुंची
मन में
असंतोष लिए घूमती रही |
कितनी बार
तुमसे कहना चाहा
पूंछना भी चाहा
तुम्हारे मन में क्या चल रहा है
तुमसे भी सलाह लेनी चाही पर
तुमने भी साथ
न दिया मेरा |
अब मैं किस
का इतजार करूं
अपने विचारों
पर मोहर लगाने के लिए
जो मैं सोचती
हूँ क्या वह सही नहीं है
या जरूरत है
और मंथन की उनके |
कभी सोचा न
था इतनी उलझ जाऊंगी
अपने विचारों को रंग बिरंगे
शब्दों का लिवास पहना न पाऊँगी
न जाने क्या होगा अभी कुछ पक्का भी नहीं है |
हूँ अनिर्णय
की स्थिती में सुध बुध खो रही हूँ
बीच भवर में
डूब रही हूँ
अब तो जीवन
बोझ हुआ है
भवसागर से कैसे पार उतर पाऊँगी |
आशा
07 जुलाई, 2022
आत्म मंथन करो
अपने मन के पापों को
किसी और पर मत थोपो
जब भी झांको अपने अन्दर
सही विचार को जन्म दो |
झूट सच में जब भी उलझोगे
खुद को ही हानि पहुँचाओगे
कभी समस्याओं से उभर न पाओगे
उलझ कर ही रह जाओगे |
जीवन दिखता है पहाड़ सा
पर कट जाता है क्षण भर में
क्या करना है क्या नहीं
इनमें ही उलझे रह जाओगे |
खुद पर इतना विश्वास रखो
अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटो
अधिकार तुम्हारे हैं सुरक्षित
उनको कोई छीन नही सकता |
जिसने भी ऐसा कदम उठाया
उस पर भी ऐसा समय आएगा
चिंता न करो ईश्वर सब देख रहा
होनी में कुछ देर है अंधेर नहीं है |
जितनी गलतफैमियाँ पाली है
वे देर सवेर सभी सामने आएंगी
उसके मन को कष्ट पहुंचाएंगी
पर बीता हुआ कल लौट न पाएगा |
माना है वह गुणों की धनी
पर झूठा अहम भरा कण कण में
खुद को सर्वश्रेष्ठ समझती है
यही कमीं रही उसमें |
आशा
06 जुलाई, 2022
दुविधा में हूँ
उतार चढ़ाव जीवन के
इतना कमजोर कर देते हैं
मन मस्तिष्क बेकल हो जाता है
क्या हो रहा समझ से परे है |
घटनाओं का अम्बार लगा है
ऊंठ किस करवट बैठेगा मालूम नहीं
क्या कभी जिन्दगी की गाड़ी
सीधी पटरियों पर चल पाएगी |
यूं ही सडकों पर टप्पे खाता फिरूंगा
या कभी स्थाईत्व भी आएगा जीवन में
मेरे बेरंग जीवन में रंग कब भरेगा
यह उथलपुथल कब होगी समाप्य |
अब मैं बैठा हूँ इन्तजार में
तुमसे क्षमा मांगूं या कहने में चलूँ
तुम्हारे हाथों की कठपुतली बनूँ
या अपनी जिम्मेंदारिया पूर्ण करूं |
न जाने समझ पाने में तुम्हें
कहाँ भूल हुई मुझ से
तुम्हारे मन का सोच है कितना मैला
गहराई तक डस रहा है मुझे |
कैसे समस्याओं का हो निदान
जब पहल ही नहीं की तुमने
ना ही कभी मुझे समझीं
फिर इतने दिनों का साथ
एक ही पल में ही ठुकराया तुमने |
आशा