जब नींद न आए
आधी रात तक जागरण हो
बहुत कोशिश के बाद भी
मन स्थिर न रहे |
मन में विषाद उपजे
है क्या कारण
कोशिश तो की है पर
फिर भी ध्यान न केन्द्रित
हो |
वजह जानने के लिए
प्रयत्न भी किये भरपूर
पर असफलता ही हाथ लगी
सफलता से दूरी होती गई |
सफल होने के लिए
असफलता का ही सहारा लिया
मन में खुशी जाग्रत हुई
जब कोई सुराग मिला
सफलता का |
धीरे धीरे खुमारी आई
नयनों में निंद्रा का राज्य
पसरने लगा
कब रात हो गई सपने याद नहीं
मैं नीद में खो गई |
आशा सक्सेना