अपने करते गैरों सा व्यबहार
गैर का होता मनभावन प्यार
यह
तो पता नहीं चलता
कौन
अपना कौन पराया |
मन
यही सोचता रहता
जो
दिखावा होता
उसे कैसे पहचाने
कहाँ
से वह दृष्टि लाए
जो
देखते ही जान ले
किसी
के मन में क्या है |
मन
में किसी के
क्या पक रहा है
क्या
खिलाड़ी पक रही है
अभी पूरी बनी या नहीं |
इंसान
कुछ नहीं करता
यही
सब ईश्वर कराता
वह भावनाओं
में बहता जाता
उसी
के इशारे पर |
क्या यह पूर्व जन्म के
कर्मों का फल होता
या इसी जन्म का अनजाने में
कुछ कहा नहीं जा सकता |
आशा सक्सेना