12 जून, 2023
तुम उसके वह तुम्हारी
11 जून, 2023
कितना कष्ट उठाया उसने
कितना कष्ट उठाया उसने
तुम्हारे अनुरूप बनने के लिए
तब भी अपने को वह बदल ना सकी
पूरी तरह अनुकूल हो ना सकी|
कभी सोचा ना था
किसी के जीवन में प्रवेश होगा इतना कठिन
होगी कठिन परीक्षा अनुकूलन के लिए
उसका प्रयास सफल होगा या नहीं
यह था किसी कार्य के प्रति समर्पण
जब निष्कर्ष सामने आएगा मालूम पडेगा |
आज तक हार का मुंह नहीं देखा उसने
पर गरूर से रही दूर हर हाल में
इसी लिए आभा है उसके चहरे पर
वह होगी सफल मेरा मन कहता है |
लेखन का भी प्रयास किया उसने
अपने मन को नियंत्रित किया है उसने
जो भी उससे मिला मन मोह लिया उसने
यही मूल मन्त्र याद किया उसने |
है यही सफलता की कुंजी
भली भाँति जान लिया उसने
अब वह पीछे पलट कर नहीं देखेगी
अपनी जीवन कुण्डली सम्हालेगी |
आशा सक्सेना
10 जून, 2023
केवल कविता से जीवन नहीं चलता
जीवन कविता लिखने से नहीं चलता
कविता खाने को नहीं देती
जीवन व्यापन के लिए भी
होता आवश्यक कुछ काम करना
दौनों की आवश्यकता होती है बराबरी से |
अपनी स्थान की जरूरत कभी ना मिली
किसी ने जब खोजा किसी एक विधा को
उसकी कविता के लिए
हो जाती है राह एक सुनिश्चित
उसका जब दिखता नजारा मन बल्लियों उछलता
पर जीवन की रफ्तार वहीं ठहरने लगती |
दौनों की आवश्यकता जरूरी है
एक से पूरा नहीं पड़ता जीवन के लिए
एक है मनोरंजन के लिए
दूसरी है जरूरी जीवन व्यापन के लिए
जिसने महत्व दौनों का समझा
और समय का सदुपयोग किया
वही सफल हुआ अपने जीवन में |
आशा सक्सेना
09 जून, 2023
सरस्वती वन्दना
नमन तुम्हें हे मां भारती
आए हैं तुम्हारे दर पर
अपनी आस लिए
मेरी आस पूरी करो माता |
यही एक इच्छा है मन में
किसी के आगे शीश ना झुकाएं
केवल तुम्हारे सिवाय कमलासनी
जब आएं कोई अरदास लेकर |
जीवन की कठिनाइयां
दिखती हैं सब को
सुख की छाया कभी कभी
दुःख में याद तुम्हें करें |
मुझे यह सही नहीं लगता
जब दुःख में याद करें
सुख में पीछे ना हटें
जब तुम्हारी कृपा होगी सर पर
मधुर गीतों का गुंजन होगा जीवन भर
यही सुख मिलेगा सर्वश्रेष्ठ |
नमन तुम्हें हे हंस वाहिनी
अपने वरद हस्त
सदा रखना मेरे शीश पर
सदा तेरे गुण गान करें
|होतुम विद्द्या की देवी
इस गुण से हमें नवाजो मां
नमन तुम्हें हे ज्ञान दायनी
मेरी कामना पूर्ण करो माँ
मेरा कष्ट दूर करों माँ |
आशा सक्सेना
-=098&65
08 जून, 2023
जंगल में भ्रमण
इस मनभावन मौसम में
दिल की जंग में जीता
अपने आनंद को |
जंगल में घूमने का दिल हुआ उसका
चल दिया एक अजनवी सा
उस मार्ग पर जिधर से नदिया बहती है
07 जून, 2023
शेष जीवन
06 जून, 2023
भोला बचपन
जब जन्म लिया कान्हां ने
माता की गोद भरी थी
मन में उत्साह जगा था
सब ने बधाई दी मान को
खुशियों से भरी थी
कहीं कमी न थी मेरी रौनक मैं
जी जान से जो मझे मिली थी
सरल सतर्कजीवन जी लिया
कभी रोया कभी खुद
कोड काण्ड किया
यही मेरा बचपन था
जिसका इंतज़ार रहा
यही उसका बचपन मेरा था
आशा सक्सेना