शाम हुई घर में चहलपहल हुई
आने वालों का ताता लगा
आज है सालगिरह मेरे बेटे की
केक लाए मिष्ठान लाए
सभी को सजाया टेबल पर |
तरह तरह के मुखोटे बनाए सब के लिए
सभी को पहनाए तरह तरह से सजाए
अनोखा रूप दिया सब को बच्चे खुश हुए
अपने रूप देख ,अब हुई उत्सुकता केक काटने की|
सब्र नहीं हुआ कब केक काटा जाए सोचा
मिष्ठान का सेवन कब हो
और कब गाने गाए जाएं जन्म दिन के
डीजे पर थिरकने का उसका मन है नाचने का |
उसने गीत भी तैयार किया था नया सा
सब को बहुत प्यारा लगा सुन कर सुनकर
उसको उपहार दिया मिलजुलकर सबने
गीत को भी सुनकर ओर उत्साहित किया |
कितने खुश थे बच्चे यह आयोजन देख
बार बार ठुमकने लगते सब के सब
अब चलने की बारी आई उदासी मुह पर छाई
धीरे धीरे जमावड़ा कम हुआ |
अब ढोलक की बारी आई
गीत हुए महिलाओं के मन में सोचे गीत गाए
हवामें उड़ जाने का बहाना लिया
हुआ समापन सालगिरह का |
आशा सक्सेना