सारा जीवन बीत रहा
पर संतोष ना मिला कहीं भी
जीवन एक किराए की झोंपड़ी
मन को आराम मिला ना मिला |
कविता लिखने से मन उचटा
ना कोई नये शब्दों का काफिला मिला
चलता रहा आगे आगे
ना किसी ने रोका टोका नाहीकोई ने इनकार किया |
चलने लगा दीवानगी की राह पर
बिना सही मार्ग खोजे
लोगों ने दीवाना समझा
पर तुमने मुझे क्या समझा
यह आज तक तक ना बताया |