मैंने जब सोचा
सही राह पर चलने को
कई व्यवधान आए मार्ग में
किसी ने सही राह ना बतलाई
मन को ठेस लगी दिल आहत हुआ
अब सोचा किसी का संबल क्यूँ लूं
अपने पर पूरा भरोसा रख कर
हिम्मत से कदम आगे बढाए
माना पहले असफलता हाथ आई
फिर से प्रयत्न किया
सफलता झांकने लगी ऊपर से
जब पूरी सफलता पाई
मन बल्लियों ऊपर उछला
दिल जोरों से धडका
यही चाह थी मन में कैसे हार मानती |
आशा सक्सेना