जाने ऐसा क्या है इसमें
बहुत मोह होता इससे
यदि हल्की सी ठोकर भी लगे
मन को विचलित कर जाए |
झूठे अहम चैन से
उसे रहने नहीं देते
उलझ कर उनमे ही रह जाता
नियति के हाथ की
कठपुतली बन कर |
क्या है उचित और क्या अनुचित
इसका भी ध्यान नहीं रखता
चमक दमक की दुनिया में
इतना लिप्त होता जाता
यह तक समझ नहीं पाता
कि वह क्या चाहता है |
गर्व की चरम सीमा पर
होता है प्रसन्न इतना कि
वह सब से अलग नहीं है
यह तक भूल जाता है |
संयम और सदा चरण
होने लगते दूर उससे
फिर भी भागता जाता है
आधुनिकता की दौड़ में |
दिन में व्यस्त काम काज में
रात गवाता चिंताओं में
फिर भी मन भटकता है
शान्ति की तलाश में |
है संतुष्टि से दूर बहुत
माया मोह में आकंठ लिप्त
शायद भूल गया है
सब यहीं छूट जाएगा |
है यह तन विष्ठा की गठरी
ऊपर से सुंदर दिखा तो क्या
एक दिन मिट जाएगा
चंद यादें छोड़ जाएगा |
आशा
बहुत मोह होता इससे
यदि हल्की सी ठोकर भी लगे
मन को विचलित कर जाए |
झूठे अहम चैन से
उसे रहने नहीं देते
उलझ कर उनमे ही रह जाता
नियति के हाथ की
कठपुतली बन कर |
क्या है उचित और क्या अनुचित
इसका भी ध्यान नहीं रखता
चमक दमक की दुनिया में
इतना लिप्त होता जाता
यह तक समझ नहीं पाता
कि वह क्या चाहता है |
गर्व की चरम सीमा पर
होता है प्रसन्न इतना कि
वह सब से अलग नहीं है
यह तक भूल जाता है |
संयम और सदा चरण
होने लगते दूर उससे
फिर भी भागता जाता है
आधुनिकता की दौड़ में |
दिन में व्यस्त काम काज में
रात गवाता चिंताओं में
फिर भी मन भटकता है
शान्ति की तलाश में |
है संतुष्टि से दूर बहुत
माया मोह में आकंठ लिप्त
शायद भूल गया है
सब यहीं छूट जाएगा |
है यह तन विष्ठा की गठरी
ऊपर से सुंदर दिखा तो क्या
एक दिन मिट जाएगा
चंद यादें छोड़ जाएगा |
आशा