देखे प्रेम के कई रूप
भाँती भाँती के रूप अनूप
भक्ति भाव उजागर होता
कभी माँ की ममता का बहाव होता
कभी मित्र भाव दिखाई देता
कभी निस्वार्थ प्रेम लहराता
अपना परचम फहराता
प्रकृति अपने पंख फैलाती
कभी देश प्रेम होता सर्वोपरी
किसे प्राथमिकता दे क्या है जरूरी
सोच सही मार्ग न दिखा पाता ||
केवल एहसास खुद से प्रेम का
देता आत्म मोह का नमूना कभी
यौवन से प्रेम उफन कर आता कभी
जिस समय हो अति आवश्यक
वही प्रेम समझ में आता |