29 नवंबर, 2021

कोठरी काजल की

 


काजल की कोठरी

में पहुंच काजल की 

कालिख से  कैसे बचेंगे |

कितना भी बच कर चलेंगे

 काला रंग काजल का

लग ही जाएगा |

सोचेंगे साबुन से 

दागों  को   छूटा लेंगे

पर वह भी गलत होगा

दाग फीके तो होंगे फिर भी दिखेंगे |

सावधानी यदि नहीं बरती

कालिख बढ़ती ही जाएगी 

कैसे उनसे छुटकारा मिलेगा

कोई हल नजर नहीं आता |

आशा 


भोर का एकल सितारा देखा


 
भोर का एकल सितारा

देता संकेत सुबह के आगमन का

रश्मियाँ धीरे से झाँकतीं देखती

 वृक्षों की डालियों के बीच में  छिप कर |

जब आतीं खुले आसमा में

अद्भुद आभा उनकी होती   

सध्य स्नाना युवती सी

सजधज कर जब आसमा में विचरतीं |

बहुत आकर्षण होता उनमें

जो खींचता हर दर्शक को अपनी ओर

ये फैली होतीं जब वृक्षों पर

अद्भुद ही द्रश्य होता वहां का |

पेड़ के नीचे बिछी श्वेत पुष्पों की चादर

वहां  से उठने न देती

मन हो जाता विभोर

कहीं जाना न चाहता वहां की शान्ति छोड़ |

खुद से वादा करती

प्रति दिन यहीं आऊंगी

सुबह   की सैर के लिए

मौसम का नजारा देखूंगी जी भर कर |

आशा 

28 नवंबर, 2021

कलम तो कलम है


 

                              कलम तो कलम है वही रहेगी 

लिखने वाले बदल जाएंगे
विचार बदल जाएंगे
वह न बदलेगी |
विचारों को संकलित करना
उनको पुष्पों सा एक माला में पिरोना
रहता तरीका भिन्न सदा
पर लेखक के मन परकलम दिखती निर्जीव
जैसा चाहो उपयोग करलो
पर हो जाती सक्रीय
जब गति पकड़ती |
उसे कोई व्यवधान
पसंद नहीं आता
अपने किसी कार्य के मध्य
वह पूर्ण समर्पण से कोई
कार्य सम्पन्न करती|
वह जो भी कार्य करती
लेखक की संतुष्टि के लिए
लिखने वाले मन का विचलन
कभी भी दुःख दे जाता |
दो कदम भी आगे न बढ़ने देता
यहीं वह हार जाती लाचार होती
कितनी भी कोशिश करती
सभी विफल हो जाती |
फटे पन्नों का प्रदर्शन होता पूरे कमरे में
वह सजा दीखता अनोखे अंदाज मे
तभी बहुत शर्म आती उसे
अक्षम हो कर एक ओर कौने में
असहाय से पड़े रहने में
कुछ कर न पाने में |
कलम की सक्रीयता
यूँ तो कभी कम न होती
पर लेखक के मन पर
निर्भर रहती |
आशा


खुद कुछ कर न पाओगे

 

सागर सी  गहराई तुम में

 डूबेतो निकल न पाओगे

हर  बार हिचकोले खाओगे

घबराओगे बेचैन रहोगे |

भवर में गोल गोल घूमोंगे  

डुबकी  लगाओगे

 फिर भी बाहर न आ पाओगे |

खुद तो अशांत होगे

दूसरों को भी उलझाओगे

बाहर आकर शान बताओगे

मन की शान्ति का दिखावा करोगे |

यह दुहेरी जिन्दगी जीने का

क्या लाभ ना तो  मन को शान्ति मिलेगी

न पार उतर पाओगे |

भवसागर में यूंही

भटकते रह जाओगे

कितनों के आश्रित रहोगे

खुद कुछ न कर पाओगे |

आशा

24 नवंबर, 2021

जोडियाँ ऊपर से बनकर आतीं


 

हम  दो प्राणी हैं जुदा जुदा

कुछ भी समान नहीं हम में

एक जाता उत्तर को

दूसरा विपरीत दिशा को चल देता |

यह कैसी जोडी बनाई प्रभु तुमने

कुछ तो समानता दी  होती 

कभी तो हाथ मिलाते प्यार से  

कैसे जीवन गुजरेगा हमारा |

एक साथ रहने के लिए

विचारों की एकता होती

या एक सी पसंद हो जाती

हर समय खीचतान न मची रहती |

कभी एकमत हो न पाते

यदि मन से कभी इच्छा होती

विरोध कैसे न करते 

बहस  हो नहीं पाती 

यदि सामान विचार धारा होती

फिर दोष किस पर मढ़ते |

आशा

नानुकुर किस लिए


                                         किसी भी बात पर 

 ना नुकुर

शोभा  न देती कभी 

 समय देखो

दीखते उलझते     

 विचारों में ही   

 तुम हो  मेरे 

 हम कदम नहीं  

किससे  कहूं 

 गैर तो नहीं अब 

फिर भी दूरी 

मुझे  अपने लगे 

प्यारे लगते 

कुछ तो हो जरूर

मेरे न हुए

कब तक बचोगे 

 हुआ इससे 

 क्या  और  किसलिए 

हमदम हो     

सपनों में आकर  

कभी देखना  

कौन हमसे ज्यादा 

  मन को प्यारा होता 

 क्या है उसमें       

लाडला किस लिए   

ख्याल तुम्हारे  

सबसे अलग हैं    

 प्रिय हैं मुझे

तब यह दूरी क्यों

किसके लिए |

आशा 

 

23 नवंबर, 2021

कठिन मार्ग दौनों का


                                        
हो गुलाब का फूल

 या हो पुष्प कमल का 

उन तक जाने में  

 पहुँच मार्ग में

 बड़े व्यवधान आते हैं |

 दौनों तक पहुँच पाने में

हम उलझ ही जाते हैं 

हैं बहुत महत्व  के दौनों 


              कमल है आसन देवी लक्ष्मी का   

उस तक पहुँचना 
कष्टकर होता |

दलदल में खिलते

पुष्प कमल के

फिर भी अलग रखते

 खुद को कीचड़ से  |

फूल गुलाब का

 भी कम नहीं किसी से 

अपने को बचा कर रखता

  घिरा रहता कंटकों से  |  

वे बचा कर रखते गुलाब को

 रक्षक बन कर उसके 

 अनचाही कोशिश किसी ने यदि की  

देते दंश बड़ा चुभन से  | 

 जब माला या गुलदस्ता

 गुलाब का ही  बनाना  होता

बहुत कष्ट होता

 उनको चुनने में |

पर महत्व जान कर

 दौनों पुष्पों  का 

भूल जाते उन 

कठिनाइयों को |

कितनी भी दिक्कत आए 

उन तक पहुँच पाने में

पूरे प्रयत्न करते

उन तक पहुँच ही जाते |



आशा