एक चिड़िया अकेली
खोज रही दाना
पानी
अपने नन्हें
मुन्ने
चूजों के लिए|
वह है इन्तजार
में
कब लकडहारा
आएगा
फलों से भरी
डाली
पर प्रहार करेगा |
नीचे गिरी
डाली से
फल चुनने में
उसे
बड़ी आसानी
होगी
कार्य से हो
कर निवृत्त
वह जल्दी से
घर पहुंचेगी |
यह भी डर सता रहा उसको
कोई घरोंदा न
तोड़ डाले उसका
चूजों को चोट
पहुंचाए
वह कैसे यह
सदमा सहेगी |
जब लकड़ी कटी
उसने धन्यवाद
दिया
लकड़ी काटने
वाले को
और चलदी चौंच
में दाना भर के |
खुद खाया
बच्चों को खिलाया
फिर चल पड़ी नए
बसेरे की तलाश में
शायद यहाँ
उसका
इतना ही समय शेष था |