समय कुसमय को न देखा
बिना सोचे अनर्गल बोलते रहे
अरे यह क्या हुआ ?
क्या किसी ने न बरजा |
क्या हो समकक्ष सभी के
कोई बड़े छोटे का ख्याल नहीं
उम्र का तनिक भी लिहाज नहीं
कभी ग्लानि भी नहीं होती |
क्या आत्मा भी जड़ हुई तुम्हारी
या किसी गुरू की शिक्षा भी न मिली
या संस्कारों में कमीं रह गई
किसी ने न रोका टोका |
तुमने मन को दुःख पहुंचाया
मुझे यह कहने में
असंतोष भी बहुत हुआ
लगा क्या तुम मेरे ही बेटे हो |
कल्पना न थी तुम
संस्कारों को भूल जाओगे
आधुनिकता के साथ अपने
चलन को भी तिलांजलि दोगे|
मुझे बहुत शर्म आई
तुम दूर हुए कैसे उनसे
अपने दिए संस्कारों को न भूल पाई
कहाँ रही कमी आज तक न सोच पाई |
आशा