जल की नन्हीं बूंदे आतीं
काली घटाएं आपस में टकरातीं
व्योम में बिजली चमकती जब टकराती
वर्षा ऋतु आगमन का होता आगाज |
बादल काले कजरारे उमढ घुमढ आते
आपस में टकराते गरजते बरसते
वर्षा की उम्मीद जगाते
खेतों में नन्हें पौधे अंकुरित होते |
होती जब मखमली हरियाली
व्योम में धुंधलका छा जाता
जब भी बादल समूह में आते
कभी काले कभी भूरे दीखते
अनूठा मनमोहक नजारा होता |
जब भी वे आपस में टकराते बादल
तीव्र गर्जना होती
दिल दहल जाते सब के
सोते बच्चे चौंक कर उठते |
पर रिमझिम वारिश होते ही
वर्षा में भीगने को लालाइत होते
सारी सीमाएं तोड़ कर
भागते आंगन की ओर |
यही तो बचपन है
प्रकृति में जीने का
भीगने खेलने नहाने का
आनंद है कुछ और |
आशा
आशा