26 अप्रैल, 2023

सफलता होगी कदमों पर

 


                                              जीवन है ऐसा , जैसे
                                                   पत्थर से बाँधी गई डोर
                                                        जितनी डोर ढीली बंधेगी

उतनी जगह  घेरेगी जमीन पर 

  दायरा  समझ का बढ़ेगा |

किसी ने यदि उससे खेला  

नाकामयाबी जीवन में हाथ लगेगी

जिस कार्य में हाथ डालोगे

वह फिसल ही जाएगा हाथों से |

जीवन अंधेरी गलियों में भटकेगा

किसी की सलाह ना  चाहेगा तब भी

कभी तो ऐसा लगता है

मेरे जीवन से नियंत्रण हटा है |

कोई नहीं अपना दीखता

तब भी उसी की खोज में

मै खुद भी भटकी 

अपने पर दया तक नहीं आई |

चाहती यदि कुछ सीखना

 लेना चाहती विनम्रता का साथ 

उससे मुंह मोड़ना नहीं चाहती

तभी सफलता मेरे पास आती

धैर्य रखने की  आदत सिखाती |

नम्र हुई जब  आदत मेरी 

 यह मेरी समझ आया 

मुझे संतोष हो जाता 

,यही मुझे प्राप्त होता  |

धैर्य ,विनम्रता ,और संतोष 

हैं सफल  महिलाओं के  गहने 

सोच समझ कर कार्य करना

 है उनमें से एक |

आवश्यकता पड़ने पर सलाह 

बुजुर्गों की लेना 

  उन से ही सफलता मिलेगी 

जीवन सफल होगा संतोष मिलेगा  |

आशा सक्सेना 

24 अप्रैल, 2023

मेरा सफल होने का राज



                                                 जब  कदम उठाए थे

विशिष्ट कार्य करने के लिए 

कभी जल्दबाजी का नाम

 ना था मेरे पास | 

पर जांच कैसे हुई अनुभव की

मैंने कभी ध्यान ना दिया 

मैं अपने आप में व्यस्त रही

किसी से कोई सलाह ना ली |

शायद यही गलती की मैंने    

कितना कब किस ने कहा

मन को ठेस लगी मेरे

जब रोका टोकी किसी ने की |

यही मेरे मन में आया

दिन रात आत्म मंथन किया 

फिर भी सोचा कहाँ गलत किया मैंने  |

यूँ तो बहुत सोच कर ही कदम उठाए 

कभी जल्दबाजी का नाम ना था मेरे पास  

 जांच कैसे हुई कार्य क्षमता की 

ध्यान ना  दिया किसी ने |

मैं अपने आप में व्यस्त रही

किसी से कोई सलाह ना ली मैंने

शायद यही गलती की मैंने 

किसी का ज्ञान देखा  ना जाना |

जानने  की कोशिश भी ना की 

किसी के अनुभवों का लाभ उठाना चाहिए 

 किसी डिग्री का मोहताज होना नहीं चाहिए 

जिससे अनुभाव का पूरा लाभ लिया जा सके 

उम्र का बढ़ना जरूरी नहीं  

 वह सभी कार्य करने में सक्षम हो 

उसे महारत हांसिल हो किसी कार्य विशेष में  |  

दिल पर नियंत्रण रखा

 फिर उस कार्य को सीखा 

सही अनुभव से सीखने का 

आनंद ही कुछ और है | 

सफलता के पायदान पर चढ़ कर 

बड़ा  सुकून मिला मुझ को |

आशा सक्सेना 

  



23 अप्रैल, 2023

क्या तुम ने सोचा है


                                                                    क्या तुमने सोचा है 

मैंने कुछ नया किया है 

वह भी तुमसे  कहे बिना 

उसमें मुझे  प्रसन्नता मिली है |

उसने नजदीक किया है तुम्हें मेरे 

तुमने मुझे अपने आपसे 

खुद को इतना पास किया है 

मुझे अपने ऊपर गर्व हुआ है |

झूठे गर्व का मुझे एहसास नहीं  है

मेराविश्वास इतना बढ़ा है 

मुझे ज़रा भी भय नहीं लगता 

सही राह खोजने में गंतव्य तक पहुँचने में |

माना कि मैं हूँ सरल सीधी 

पर तुम्हारे बिना अधूरी रहती 

तुम बिन एक कदम भी 

आगे बढ़ा नहीं सकती |

पूर्ण रूप से निर्भर हूँ तुमपर 

मैंने तुम्हें अपना मनमींत समझा है

 दिन रात स्वप्नों में खोई रहती हूँ 

हर समय तुम पर न्योछावर हुई जाती हूँ |

ईश्वर की  श्रद्धा अटूट रही मुझ पर 

हर समय आशीष रही मेरे सर पर 

मन में आशीष प्रभू का सदा रहा मुझ पर 

यही क्या कम है कोई गलत काम नहीं हुआ मुझसे |

मुझे तुम पर है अथाह   विश्वास 

यह तुम ने भी नहीं सोचा होगा  

पर मेरी प्रसन्नता पर तुम्हारी प्रसन्नता पर 

 गर्व है मुझको जैसे |


आशा सकसना 


21 अप्रैल, 2023

दोनों में अंतर क्यूँ






   





मन में  उसके क्या है 

वह खुद ही नहीं जानती

प्यार किसे कहते हैं

 अनुभव किया ही नहीं |

जब धर में चर्चा  हुई

उसकी शादी की

उसे बड़ा आश्चर्य हुआ

ऎसी भी क्या जल्दी है |

अभी किशोरावस्था बीती ही नहीं

योवन ने अगड़ाई ना ली

क्या वह भार हुई सब के लिए

या उसका सोच गलत है |

क्यूँ बार बार उसे रोका  टोका जाता

यह करो या ना करो

 हर बार कुछ सलाह दी जाती

भाई से कुछ भी नहीं कहा जाता 

क्या कुछ भी मना करने को 

कह दिया जाता |

यह है कैसी दोगली नीति 

मेरे सरपरस्तों की 

बार बार मन में आती 

यह सही नहीं की जाती |
आशा सक्सेना 
 

20 अप्रैल, 2023

कैसे अकेले काम करू


 मैंने कभी एक भी  

काम ना  किया  पहले

बहुत कठिनाई हुई

 जब अकेले करना पड़ा सब काम |

दिन भर काम ही काम

क्या यही है  इन्साफ मेरे साथ

सुबह से शाम  तक रहती व्यस्त

कभी किसी काम से नहीं ना कर पाती |

किससे  करू इनकार

है यही जिम्मेंदारी  मेरी

घर की सफाई करू खाना बनाऊँ  

या आगत का स्वागत करू |

यदि आलस्य करू

अपने आप को अपराधी समझूं

 मुझे भी अच्छा नहीं लगता

कैसे अपने को परिवर्तित करू|

कोई मुझे समझाओ मै क्या करू

जब भी काम  करती हूँ

शरीर साथ नहीं देता

दिनभर के काम से थक जाती  हूँ |

क्या कोई तरकीब नहीं

बहुत थकने से बचने के लिए

अपने पर ध्यान दे पाने के लिए

हूँ अकेली कैसे बच पाऊँ घरके कामों की सीमा से |

आशा सक्सेना 

कल्पना लोक के इस दौर में

 

कल्पनालोक  के इस दौर  में

कैसे दूर रहूँ उससे

सब ने समझाया भी इतना

कभी कहने में आई यही बात

मन को ना  भाई कैसे |

कविता का कोई रूप नहीं होता

केवल भावनाएं ही होतीं उसमें

सुन्दर शब्दों से सजी है

 मन में हिलोरे खा रही है |

प्यार से सजी हुई है

दिलों दीवार में घुमड़ा  रही हैं

कभी नदिया सी बेखौफ  बह रही हैं

अपनी राह से है लगाव इतना

आगे आने वाले राह नहीं भटकते |

यही मन को रहा एहसास

पर मुझे भय नहीं है

अपने ऊपर आत्मविश्वास है इतना

कभी पैर ना फिसले ताकत से रहे भर पूर

  चंचल चपला सी बह रही है |

आशा सक्सेना 

19 अप्रैल, 2023

जब मैंने तुम्हें पुकारा



 

जब मैंने तुम्हें पुकारा

तुमने मुझे नजर अंदाज किया

यह तक भूले मैं भी तो लाइन में खड़ी हूँ

तुमसे भेट के  लिए |

 मन को ठेस लगी

पर जान लिया कोई स्थान नहीं  

मेरा  तुम्हारे लिए घर में  

मैं तो खोज रही हूँ तुमको

जानने  के लिए कि तुम कौन हो मेरे

मेरे अपने या कोई गैर

जब यह जान जाऊंगी तुम कौण मेरे  

 तुम्हारे घर में कदम रखूंगी  

इससे पहले पूरी पड़ताल करूगी  

या किसी से सलाह लूगी

 जब संतुष्टि हो जाएगी

अपने कदम आगे बढाऊंगी

अब कोई भूल नहीं करूंगी |

पर सोचती हूँ कहीं समय

ना  निकल जाए हाथो से

 केवल रेत ही रह जाएगी

रिक्त हाथों में |

आशा सक्सेना