शरद पूनम के चाँद सा मुखमंडल है
उस पर स्निग्धता का भाव अनोखा है
चन्द्र किरण की शीतलता का
आनंद बहुत अनुपम है
आनन पर मधुर मुस्कान है
मौसम बड़ा हरजाई है
काले लम्बे केशों की सर्पिणी सी चोटी
कमर तक लहराई है
हल्की सी जुम्बिश दी है उसने
सरक कर चूनर मुख पर आई है
ठंडक ने दस्तक दी है हल्की सी
वायु के हलके से झोंके से
नव ऋतु ने ली अंगड़ाई है
दबे कदम शरद ऋतु आई है
पौधों ने स्पर्श किया है
पवन के इन झोंकों को
उन्हें भी अहसास हुआ है
इस परिवर्तन का
हरसिंगार की पत्तियों पर
ओस की बूँदें थिरक आई हैं
नव चेतन की महक दूर से आई है
खिली कलियाँ रात में
फूलों पर बहार आई है
शरद पूनम का चाँद देखा है जबसे
निगाहों में उसकी ही छवि समाई है !
आशा सक्सेना